Post by : Shivani Kumari
हिमाचल प्रदेश में ठंड का असर तेजी से बढ़ रहा है। राज्य के कई हिस्सों में रात का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया। शिमला, मनाली, धर्मशाला, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी और लाहौल-स्पीति में तापमान गिरकर 6 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच पहुँच गया। दिन का तापमान हल्का गर्म रहने के बावजूद रात की ठंड लोगों के जीवन, कृषि और पशुपालन पर प्रभाव डाल रही है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार उत्तर भारत से आने वाली ठंडी हवाओं ने राज्य के ऊँचे क्षेत्रों में प्रवेश किया है, जिससे तापमान सामान्य से कई डिग्री कम हो गया है। घाटियों और पर्वतीय क्षेत्रों में इसका असर अधिक स्पष्ट रूप से दिख रहा है। शहरी इलाकों में लोग गर्म कपड़े पहनने लगे हैं और हीटिंग उपकरणों की खपत बढ़ गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में ठंड का असर कृषि गतिविधियों पर भी पड़ रहा है। आलू, गोभी, गाजर, मूली और अन्य सर्दियों की सब्जियों की पैदावार प्रभावित हो सकती है। फल और सब्जियों की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि रात के समय घर के अंदर रहना सुरक्षित रहेगा और बुजुर्गों व बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
राज्य के प्रमुख स्थानों का तापमान इस प्रकार है। शिमला में न्यूनतम 8 डिग्री और अधिकतम 20 डिग्री, मनाली में 6 और 19 डिग्री, कुल्लू में 7 और 21 डिग्री, धर्मशाला में 9 और 22 डिग्री, कांगड़ा में 8 और 21 डिग्री और मंडी में 7 और 20 डिग्री दर्ज किया गया। लाहौल-स्पीति में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री और अधिकतम 16 डिग्री रही।
| स्थान | न्यूनतम तापमान (°C) | अधिकतम तापमान (°C) | 
|---|---|---|
| शिमला | 8 | 20 | 
| मनाली | 6 | 19 | 
| कुल्लू | 7 | 21 | 
| धर्मशाला | 9 | 22 | 
| कांगड़ा | 8 | 21 | 
| मंडी | 7 | 20 | 
| लाहौल-स्पीति | 4 | 16 | 
स्थानीय प्रशासन ने ठंड के बढ़ते असर को देखते हुए आपातकालीन तैयारियाँ तेज कर दी हैं। सड़क और स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी बढ़ा दी गई है। नागरिकों को सार्वजनिक यातायात में सतर्क रहने और सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, हिमाचल प्रदेश में उच्च दबाव प्रणाली सक्रिय है, जो ठंडी हवाओं को मार्ग देती है। तापमान में लगातार कमी देखने को मिल रही है और अगले सप्ताह तक यह स्थिति बनी रह सकती है।
ठंड के कारण श्वसन और हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए लोगों को गर्म कपड़े पहनने, गरम पेय लेने और पर्याप्त पोषण लेने की सलाह दी गई है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को फसल सुरक्षा के लिए कवर और कवच का उपयोग करना चाहिए। पशुपालकों को अपने पशुओं के रहने की जगह को सुरक्षित और गर्म रखना चाहिए। सिंचाई और जल स्रोतों की सुरक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है।
अक्टूबर और नवंबर में हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में रात का तापमान सामान्य से कम रहता है। पिछले वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि ठंड के कारण फसल, पशुपालन और जीवनशैली पर प्रत्यक्ष असर पड़ा है।
मौसम विभाग और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार नागरिकों को नियमित रूप से मौसम अपडेट चेक करना चाहिए। सड़क यात्रा और पर्वतीय क्षेत्रों में सावधानी बरतें। कृषि और पशुपालन के उपाय अपनाएँ। स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें। सही तैयारी और सतर्कता से ठंड के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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