Post by : Khushi Joshi
हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल शिमला में रैगिंग का एक गंभीर मामला सामने आया है। एमबीबीएस के एक जूनियर छात्र के साथ सीनियर छात्रों द्वारा किए गए अनुचित व्यवहार के बाद कॉलेज प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए दो सीनियर एमबीबीएस छात्रों को तीन माह के लिए निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही दोनों छात्रों पर 25-25 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया है।
सूत्रों के अनुसार यह घटना करीब तीन दिन पहले की बताई जा रही है, हालांकि कॉलेज प्रशासन ने मामले को प्रारंभिक स्तर पर गोपनीय रखने का प्रयास किया था। जानकारी के मुताबिक देर रात जूनियर छात्र को सीनियर छात्रों द्वारा हॉस्टल बुलाया गया, जो कि कॉलेज के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। नियमों के अनुसार सीनियर छात्र किसी भी स्थिति में जूनियर छात्रों को हॉस्टल परिसर में बुलाने या दबाव डालने के अधिकारी नहीं हैं।
बताया जा रहा है कि रैगिंग की यह घटना भले ही कुछ ही मिनटों तक चली हो, लेकिन इसे गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए कॉलेज प्रशासन ने बिना देरी के कार्रवाई की। हॉस्टल में लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिए सुरक्षा कर्मियों ने जूनियर छात्र की गतिविधि पर नजर डाली और तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। इसके बाद पूरे मामले की जानकारी कॉलेज प्रबंधन और एंटी-रैगिंग कमेटी को दी गई।
शिकायत मिलते ही आईजीएमसी की एंटी-रैगिंग कमेटी सक्रिय हुई और पूरे प्रकरण की जांच की गई। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद दो सीनियर एमबीबीएस छात्रों को तीन महीने के लिए सस्पेंड करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा इस मामले से जुड़े छह अन्य छात्रों को अनुशासनात्मक नोटिस जारी किए गए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
कॉलेज प्रशासन का कहना है कि आईजीएमसी में रैगिंग को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई गई है और किसी भी छात्र को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। एंटी-रैगिंग कमेटी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि छात्रों की सुरक्षा और सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जा सकता और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
गौरतलब है कि इससे पहले भी संजौली क्षेत्र में एमबीबीएस छात्रों से जुड़े विवाद और मारपीट की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसके बाद से कॉलेज प्रशासन पहले से ही अलर्ट मोड पर था। ऐसे में इस ताजा रैगिंग मामले ने मेडिकल कॉलेजों में अनुशासन और निगरानी व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कॉलेज प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि आने वाले समय में हॉस्टल और कैंपस में निगरानी और कड़ी की जाएगी, ताकि किसी भी जूनियर छात्र के साथ इस तरह की घटना दोबारा न हो। प्रशासन ने छात्रों से भी अपील की है कि किसी भी प्रकार की रैगिंग या दबाव की स्थिति में तुरंत शिकायत करें, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।
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