Post by : Khushi Joshi
हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर लॉटरी शुरू करने की दिशा में सरकार ने औपचारिक कदम बढ़ा दिए हैं। राज्य की आय के नए स्रोत तलाशने के उद्देश्य से वित्त विभाग ने लॉटरी प्रणाली को दोबारा लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में वित्त विभाग और ट्रेजरी एवं लॉटरी विभाग के अधिकारी जल्द ही अन्य राज्यों का दौरा करेंगे, जहां पहले से लॉटरी सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है।
जानकारी के अनुसार वित्त विभाग की एक टीम पंजाब, सिक्किम और केरल का दौरा करेगी। इन राज्यों में लॉटरी किस मॉडल पर संचालित हो रही है, उसकी निगरानी व्यवस्था कैसी है और राजस्व कैसे अर्जित किया जा रहा है, इन सभी पहलुओं का गहन अध्ययन किया जाएगा। अधिकारियों का उद्देश्य यह समझना है कि किस राज्य की प्रणाली हिमाचल के लिए अधिक उपयुक्त हो सकती है, ताकि यहां लॉटरी को पारदर्शी और नियंत्रित तरीके से शुरू किया जा सके।
राज्यों के दौरे के बाद ट्रेजरी एवं लॉटरी विभाग की ओर से टेंडर डॉक्यूमेंट तैयार किए जाएंगे। यह प्रक्रिया आरएफपी यानी रिक्वेस्ट फॉर प्रोपोजल के माध्यम से पूरी की जाएगी। इसके साथ ही लॉटरी से जुड़े नियमों में भी संशोधन किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि वर्तमान नियम लगभग 30 वर्ष पुराने हैं और बदलते समय के अनुसार इनमें संशोधन जरूरी हो गया है। नियमों में बदलाव के बाद ही लॉटरी को नए स्वरूप में शुरू किया जाएगा।
गौरतलब है कि राज्य मंत्रिमंडल ने 31 जुलाई 2025 को यह निर्णय लिया था कि हिमाचल प्रदेश में आय बढ़ाने के लिए लॉटरी को दोबारा शुरू किया जाए। इसके बाद यह मामला वित्त विभाग के पास लंबित था, लेकिन अब सरकार ने इसे प्राथमिकता देते हुए प्रक्रिया को तेज कर दिया है। लक्ष्य यह है कि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से पहले लॉटरी से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएं। इसके लिए 31 मार्च 2026 तक टेंडरिंग और अन्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पूरा करने की योजना बनाई गई है।
हिमाचल प्रदेश में लॉटरी का एक पुराना इतिहास भी रहा है। वर्ष 2000 में तत्कालीन सरकार के कार्यकाल के दौरान राज्य में लॉटरी को बंद कर दिया गया था। इसके बाद कुछ समय तक अन्य राज्यों जैसे मणिपुर और असम की लॉटरी टिकटें हिमाचल में बिकती रहीं, लेकिन वर्ष 2004 में वीरभद्र सिंह सरकार के समय इन्हें भी प्रतिबंधित कर दिया गया था। अब एक बार फिर राज्य सरकार को लग रहा है कि यदि लॉटरी को सख्त नियमों और निगरानी के साथ शुरू किया जाए, तो इससे सरकारी खजाने को अतिरिक्त लाभ हो सकता है।
सरकार का अनुमान है कि लॉटरी शुरू होने से हर साल करीब 50 से 100 करोड़ रुपये तक का राजस्व अर्जित किया जा सकता है। यह राशि प्रदेश के विकास कार्यों, सामाजिक योजनाओं और वित्तीय संतुलन को मजबूत करने में सहायक हो सकती है। हालांकि सरकार यह भी स्पष्ट करना चाहती है कि लॉटरी व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रित और जिम्मेदार तरीके से लागू की जाएगी, ताकि किसी भी तरह की अनियमितता या सामाजिक नुकसान से बचा जा सके।
फिलहाल वित्त विभाग के अधिकारियों का दौरा और नियमों में प्रस्तावित संशोधन इस बात के संकेत हैं कि हिमाचल प्रदेश में लॉटरी की वापसी अब केवल प्रस्ताव नहीं, बल्कि जल्द अमल में आने वाली योजना बन चुकी है। आने वाले महीनों में इस पर अंतिम निर्णय और विस्तृत रूपरेखा सामने आने की उम्मीद है।
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