डोनाल्ड ट्रम्प के '60 मिनट्स' इंटरव्यू पर एडिटिंग विवाद
डोनाल्ड ट्रम्प के '60 मिनट्स' इंटरव्यू पर एडिटिंग विवाद

Post by : Shivani Kumari

Nov. 4, 2025 11:30 a.m. 128

डोनाल्ड ट्रम्प की ‘60 मिनट्स’ इंटरव्यू नवंबर 2025 में अमेरिकी मीडिया और राजनीति के केंद्र में आ गई, जब उनके 90 मिनट के संवाद को संक्षिप्त कर केवल 28 मिनट ही टीवी पर प्रसारित किया गया। यह इंटरव्यू पांच साल में पहली बार ट्रम्प की ‘60 मिनट्स’ पर वापसी थी, और इसमें उन्होंने संवाददाता नोरा ओ’डोनेल के साथ अमेरिकी राजनीति, मीडिया, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अपनी कानूनी लड़ाइयों पर चर्चा की। टीवी प्रसारण के दौरान कई ऐसे अंश हटा दिए गए, जिनमें ट्रम्प ने अपने पुराने मुकदमे, चुनाव धांधली के जीत के दावों और मीडिया की पारदर्शिता पर तीखे आरोप लगाए थे.

ट्रम्प ने बातचीत के दौरान पिछली वर्ष की कानूनी प्रक्रिया का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने ‘60 मिनट्स’ के संपादन को चुनावी लाभ दिलाने की साजिश बताया था। कानूनी विशेषज्ञों ने उस विवाद को पहले से ही कमजोर बताया, फिर भी संपादकों ने ट्रम्प से जुलाई 2025 में बड़ी राशि का समझौता किया, जिसमें भविष्य में सभी राष्ट्रपति उम्मीदवारों के इंटरव्यू के ट्रांसक्रिप्ट जारी करने का वादा किया गया।

टीवी प्रसारण में ट्रम्प ने कहा, “मुझे बहुत पैसे दिए गए, पर आप इसे मत दिखाइए, मैं आपको शर्मिंदा नहीं करना चाहता।” यह टिप्पणी प्रसारित नहीं की गई। संपादकों ने न सिर्फ ट्रम्प की इन टिप्पणियों को हटाया, बल्कि टीम, नेटवर्क के मालिकों की तारीफ, चुनाव-2020 को ‘हेराफेरी’ बताने, वाशिंगटन डीसी में अपराध कम होने के दावे, और मीडिया पर आरोप — सबके सब टीवी वर्शन से बाहर कर दिए।

लंबे वर्शन और पूरे ट्रांसक्रिप्ट को संपादकों ने अपनी वेबसाइट व यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध कराया, जिसमें देखा जा सकता है कि टीवी एडिट में टाइम या स्पष्टता के नाम पर कौन-कौन से हिस्से काटे गए। संवाददाता और संपादक ने खुद माना कि कई क्लिप्स प्रसारण के लिए उपयुक्त नहीं थीं।

ट्रम्प ने वाशिंगटन डीसी के अपराध पर संवाददाता को जवाब देने पर भी दबाव डाला, “आप यहाँ रहती हैं, आपने बदलाव देखा है।” उन्होंने मीडिया की पारदर्शिता की जरूरत पर बार-बार जोर दिया, “नकली समाचार नहीं चाहिए, सिर्फ सच्ची पत्रकारिता चाहिए।”

सीनेट डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर ने शिकायत दर्ज करवाने की बात उठाई। कानूनी प्रतिनिधि ने भी सजग रहने की सलाह दी, ताकि एडिटिंग में किसी प्रकार की ‘न्यूज डिस्टॉर्शन’ न हो।

राजनीतिक टिप्पणीकारों और मीडिया विश्लेषकों ने चर्चा की कि ऐसे बड़े इंटरव्यू में कई बार विषय से हटे या दोहराए गए हिस्से काटना आवश्यक होता है, पर संपादकीय स्वतंत्रता और पारदर्शिता के बीच संतुलन की चुनौती रहती है। संवाददाता ने भी माना कि ऑन-एयर वही हिस्से दर्शाए गए जो खबर के लिहाज से सबसे जरूरी थे।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया विभाजित रही - कई दर्शक टीवी एडिटिंग को बेहतर मान रहे थे तो कई ‘सेलेक्टिव रिपोर्टिंग’ के तर्क के साथ विरोध कर रहे थे। ट्रम्प के समर्थकों ने इसका इस्तेमाल प्रचार में भी किया।

इस विवाद का असर यह है कि अब अमेरिकी मीडिया और संपादक संस्थाएं - सार्वजनिक पारदर्शिता और प्रमाणिकता के दबाव में हैं।
परेशान करने वाली बात यह भी है कि ट्रम्प ने खुद संपादन के लिए जरूरी हिस्से न दिखाने की सलाह दी थी। मीडिया विशेषज्ञों ने कहा कि इंटरव्यू में ऐसी सलाह सामग्री की कटौती में भूमिका निभा सकती है।

इस पूरे विवाद में सही और गलत जानकारी के बीच सटीकता बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका है पूरा ट्रांसक्रिप्ट और उपलब्ध हर वर्शन की तुलना करना। संपादकों ने संपादित टीवी वर्शन, 73 मिनट का लंबा वर्शन, यूट्यूब वर्शन और ऑफिशियल ट्रांसक्रिप्ट प्रकाशित कर पारदर्शिता रखी।

इंटरनल लिंकिंग के लिये उपयुक्त जगह निम्नलिखित लिंक जोड़ें:डोनाल्ड ट्रम्प की ‘60 मिनट्स’ इंटरव्यू, उसकी एडिटिंग प्रक्रिया, और सार्वजनिक ट्रांसक्रिप्ट ने अमेरिकी मीडिया की पारदर्शिता, संपादकीय जिम्मेदारी और जनता को सत्य से अवगत कराने की दुविधा को उजागर किया है।

#ब्रेकिंग न्यूज़ #राजनीति #ताज़ा खबरें #डोनाल्ड ट्रंप #भारत समाचार
अनुच्छेद
प्रायोजित
ट्रेंडिंग खबरें
सरकाघाट का चंद्र बना इलाक़े का ‘बुलडोज़र बेटा’, अपने खर्चे से बहाल कराई बंद पड़ी 30 सड़कें एआई ने खोला 500 साल पुराना शिव स्तुति शिलालेख का रहस्य कांगड़ा में हुआ 46वां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद प्रांत अधिवेशन, पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार रहे मुख्य अतिथि जीएसटी सुधारों ने भारत में अक्टूबर में ऑटो बिक्री विक्रय रिकॉर्ड बनाया भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों ने दिखाया नया रिकॉर्ड, त्योहारों की माँग से बिक्री हुई बढ़ोतरी गूगल ने पिक्सेल यूज़र्स के लिए अक्टूबर में दिया आखिरी मिनट सुरक्षा अपडेट इस सप्ताह सोना ₹748 गिरा, चांदी ₹2,092 बढ़ी, बाजार में उतार-चढ़ाव हिमाचल कैबिनेट ने युवाओं के लिए 700 से अधिक नई सरकारी नौकरियां दीं, जिलेवार विकास योजनाओं को मंजूरी