2838 किसानों को 25.97 करोड़ का भुगतान, धान खरीद प्रक्रिया जारी
2838 किसानों को 25.97 करोड़ का भुगतान, धान खरीद प्रक्रिया जारी

Post by : Shivani Kumari

Nov. 4, 2025 12:14 p.m. 385

प्रदेश के किसानों के लिए राहत की खबर है। हिमाचल प्रदेश में धान की फसल बेचने वाले 2838 किसानों को अब तक 25.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। यह राशि प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थापित धान खरीद केंद्रों के माध्यम से दी गई है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने बताया कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए पारदर्शी ऑनलाइन व्यवस्था अपनाई गई है ताकि भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में पहुंच सके।

प्रदेश के खरीद केंद्रों में अब तक 13703.40 मीट्रिक टन धान की फसल की खरीद की जा चुकी है। किसानों को प्रति क्विंटल 2425 रुपये के भाव से भुगतान किया जा रहा है। विभाग के मुताबिक, किसानों द्वारा फसल बेचने के लिए पंजीकरण प्रक्रिया तेज़ी से जारी है। अब तक 5725 किसानों ने विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण कराया है, जिनमें से 5667 पंजीकरण सत्यापित किए जा चुके हैं।

खाद्य आपूर्ति विभाग ने प्रदेशभर में धान खरीद के लिए 11 मंडियाँ और 15 खरीद केंद्र स्थापित किए हैं। यह केंद्र 15 दिसंबर तक सक्रिय रहेंगे, जिन पर किसान अपनी उपज लेकर आ सकते हैं। इस बार लगभग 31,100 मीट्रिक टन धान की फसल खरीदने का लक्ष्य तय किया गया है।

प्रदेश में कृषि क्षेत्र को सशक्त करने के लिए सरकार लगातार नई नीतियाँ लागू कर रही है। इससे पहले अडानी समूह द्वारा सेब की खरीद को लेकर किसानों को राहत मिली थी, जिससे बागवानों को बेहतर मूल्य मिला। इसी तरह राज्य सरकार ने HPMC द्वारा 95,453 मीट्रिक टन सेब की रिकॉर्ड खरीद कर प्रदेश के बागवानी क्षेत्र में नया इतिहास रचा है।

विभाग के निदेशक राम कुमार गौतम ने बताया कि फसल बेचने वाले किसानों को भुगतान सीधे ई-गवर्नेंस मॉडल के तहत दिया जा रहा है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना समाप्त हो गई है। किसान अपने मोबाइल या लोकमित्र केंद्र से पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं और समय पर भुगतान की स्थिति ऑनलाइन देख सकते हैं

वहीं दूसरी ओर, कुछ क्षेत्रों में किसानों को परिवहन व मंडी व्यवस्था को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नालागढ़ व मालपुर क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को लेकर विभाग ने विशेष टीम गठित की है, जो जल्द समाधान सुनिश्चित करेगी।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह डिजिटल व्यवस्था किसानों को पारदर्शिता और समयबद्ध भुगतान की गारंटी दे रही है। आगे चलकर सरकार इसी मॉडल को गेहूं, मक्का और सरसों की खरीद के लिए भी अपनाने जा रही है।

प्रदेश सरकार की इस पहल से किसानों में विश्वास बढ़ा है और यह कदम प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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