हिमाचल में एचपीएमसी ने रिकॉर्ड 95,453 मीट्रिक टन सेब खरीदे
हिमाचल में एचपीएमसी ने रिकॉर्ड 95,453 मीट्रिक टन सेब खरीदे

Post by : Shivani Kumari

Oct. 24, 2025 2:16 p.m. 151

हिमाचल प्रदेश में इस साल मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) के तहत केवल हिमाचल प्रदेश हॉर्टिकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग कॉर्पोरेशन (एचपीएमसी) ने ही सेब की सरकारी खरीद की है। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, एचपीएमसी ने रिकॉर्ड 95,453 मीट्रिक टन सेब की खरीद की है, जो पिछले साल (2024) में एचपीएमसी और हिमफेड मिलकर किए गए 35,333.49 मीट्रिक टन की खरीद से दोगुने से भी अधिक है। बागवानी निदेशक विनय सिंह ने इसकी पुष्टि की है।

इस साल एचपीएमसी ने 248 संग्रह केंद्रों के माध्यम से सेब की खरीद की, जो पिछले साल 96 और 2023 में 207 केंद्रों से काफी अधिक है। पिछले साल हिमफेड ने 110 और 2023 में 103 खरीद केंद्र संचालित किए थे, लेकिन इस साल हिमफेड ने कोई खरीद नहीं की।

नई दिल्ली की आजादपुर मंडी में सेब के थोक भाव में उछाल देखा गया है। रॉयल डिलिशियस का भाव 2024 में औसत 1,180 रुपये प्रति बॉक्स था, जो इस साल बढ़कर 1,900 रुपये हो गया है। गोल्डन डिलिशियस का भाव 768 रुपये से बढ़कर 1,450 रुपये प्रति बॉक्स पहुंच गया है। मौजूदा समय में (24 अक्टूबर 2025, दोपहर 02:24 बजे IST) तक यह रुझान बना हुआ है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में स्थानीय मांग के आधार पर मामूली उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।

20 अक्टूबर 2025 तक राज्य के मंडी यार्डों में 1.27 करोड़ स्टैंडर्ड बॉक्स और कुल 2.72 करोड़ कार्टन सेब की खरीद-फरोख्त हुई है। पिछले साल (2024) इसी अवधि में 1.16 करोड़ (यार्डों में) और 87 लाख (बाहर) बॉक्स की खरीद हुई थी, जो इस साल काफी बढ़ गया है। सेब की फसल का मौसम अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।

भारी बारिश और सड़कों को नुकसान के बावजूद 27 जून से 15 सितंबर 2025 के बीच 1.73 करोड़ (20 किलो के) सेब बॉक्स बाजार में पहुंचे, जो पिछले साल 1.23 करोड़ बॉक्स से अधिक है। हालांकि, खराब गुणवत्ता (सी-ग्रेड) के सेब की निपटान में दिक्कतें आ रही हैं। कुछ क्षेत्रों में किसानों को सी-ग्रेड सेब को नालों में फेंकना पड़ा है, और एचपीएमसी के पास इनका प्रबंधन करने की योजना अभी स्पष्ट नहीं है। आज के अपडेट्स के अनुसार, सरकार इस मुद्दे पर जल्द बैठक कर सकती है।

हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादन के लिए मौसम और बुनियादी ढांचे की चुनौतियां हमेशा बड़ी रही हैं। इस साल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की निगरानी और लोक निर्माण विभाग (PWD) के प्रयासों से सड़कों की मरम्मत और सेब की आवाजाही सुनिश्चित की गई है। MIS के तहत सरकार निम्न बाजार भाव से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए सेब खरीदती है, और इस साल की रिकॉर्ड खरीद से किसानों की आय में सुधार हुआ है।

हालांकि, मौजूदा समय में (24 अक्टूबर 2025, दोपहर 02:24 बजे IST) तक यह चिंता बनी हुई है कि सी-ग्रेड सेब की समस्या का समाधान कैसे होगा। एचपीएमसी की एकमात्र जिम्मेदारी और रिकॉर्ड खरीद ने सेब किसानों के लिए लाभकारी साबित हुआ है, लेकिन निम्न-गुणवत्ता वाले सेब की बिक्री न होने से भविष्य में आर्थिक चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इन सेब को प्रोसेसिंग यूनिट्स में उपयोग करने या निर्यात के लिए विकल्प तलाशने चाहिए। इसके अलावा, कुछ किसान संगठनों ने मांग की है कि सी-ग्रेड सेब के लिए अलग से सब्सिडी दी जाए।

अगर आपको इस खबर से संबंधित कोई विशेष पहलू (जैसे किसानों की स्थिति, बाजार रुझान, सरकारी नीति, सी-ग्रेड सेब के समाधान, या निर्यात की संभावनाएं) पर और जानकारी चाहिए, तो कृपया बताएं! मैं आपकी मदद के लिए तैयार हूँ।

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