हिमाचल: नियमों के विपरीत आवास आवंटन पर जीएडी सचिव पर हाईकोर्ट ने लगाया 50 हजार जुर्माना
हिमाचल: नियमों के विपरीत आवास आवंटन पर जीएडी सचिव पर हाईकोर्ट ने लगाया 50 हजार जुर्माना

Post by : Shivani Kumari

Oct. 30, 2025 11:32 a.m. 125

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के सचिव पर नियमों की अवहेलना करते हुए सरकारी आवास आवंटित करने के मामले में 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर की एकल पीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए न केवल अवैध आवंटन को तत्काल रद्द करने का आदेश दिया, बल्कि पूरे आवास प्रबंधन तंत्र में क्रांतिकारी सुधारों की नींव रखी। यह मामला 1973 की हिमाचल प्रदेश सचिवालय (आवास आवंटन) नियमावली की खुली अवहेलना का जीता-जागता प्रमाण है।

यह पहला मौका है जब हिमाचल हाईकोर्ट ने किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पर व्यक्तिगत रूप से 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया हो – और यह राशि 15 दिन में विधिक सेवा प्राधिकरण को जमा करनी होगी, वरना वेतन से कटौती होगी।

याचिकाकर्ता, जीएडी में तैनात चालक रमेश कुमार (नाम परिवर्तित), ने कोर्ट में दस्तावेजी सबूत पेश किए कि वे 2018 से प्रतीक्षा सूची में हैं, लेकिन जीएडी सचिव ने बिना विज्ञापन, बिना नोटिस और बिना वरिष्ठता के एक टाइप-3 आवास को अपने चहेते अधिकारी को आवंटित कर दिया। कोर्ट ने इसे “प्रशासनिक तानाशाही” करार दिया।

1973 की नियमावली: नींव से लेकर वर्तमान तक का ऐतिहासिक विश्लेषण

हिमाचल प्रदेश सचिवालय (आवास आवंटन) नियमावली, 1973 को तत्कालीन मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार की सरकार ने पारित किया था। उस समय शिमला में सचिवालय के लिए मात्र 120 आवास थे। नियमावली का उद्देश्य था – पारदर्शिता, वरिष्ठता और आवश्यकता के आधार पर आवास वितरण।

1973: नियमावली लागू। प्रतीक्षा सूची मैनुअल रजिस्टर में। आवंटन समिति में 3 सदस्य।
1985: पहली संशोधन – टाइप-5 आवास अधिकारियों के लिए आरक्षित। कर्मचारियों में असंतोष।
1992: दूसरा संशोधन – प्रतीक्षा सूची हर 6 महीने में अपडेट। लेकिन लागू नहीं हुआ।
2001: तीसरा संशोधन – आवंटन से पहले 15 दिन का नोटिस अनिवार्य। फिर भी अनदेखी।
2015: हाईकोर्ट की टिप्पणी – “नियम कागजों में, आवंटन मनमाने”।
2025: 50,000 जुर्माना – अब तक का सबसे सख्त कदम।

52 साल बाद भी नियमावली की आत्मा जीवित नहीं हो पाई। कोर्ट ने अपने 28 पेज के आदेश में लिखा: “यह नियमावली अब तक केवल कागजी शेर बनी रही। अब समय है इसे डिजिटल युग में लाने का।”

अन्य राज्यों से तुलना: हिमाचल सबसे पीछे

राज्य ऑनलाइन पोर्टल प्रतीक्षा सूची अपडेट एसएमएस अलर्ट ऑडिट
उत्तराखंड हाँ (2018 से) हर 15 दिन हाँ वार्षिक
हरियाणा हाँ (HRMS पोर्टल) रियल-टाइम हाँ तिमाही
पंजाब आंशिक हर महीना नहीं द्विवार्षिक
हिमाचल नहीं अनियमित नहीं कभी नहीं

उत्तराखंड में 2018 में शुरू हुआ Housing Allotment Portal आज 12,000+ कर्मचारियों की प्रतीक्षा सूची को रियल-टाइम में दिखाता है। हरियाणा का HRMS तो आवेदन से लेकर खाली होने तक की पूरी प्रक्रिया को ट्रैक करता है। हिमाचल अब भी मैनुअल रजिस्टर पर निर्भर है।

“हिमाचल में तकनीक है, लेकिन इच्छाशक्ति नहीं। उत्तराखंड ने 5 साल में जो किया, हम 50 साल में नहीं कर पाए।” – हिमाचल कर्मचारी महासंघ

RTI खुलासे: चौंकाने वाले आंकड़े

RTI आवेदन क्रमांक: HP/GAD/RTI/2024-25/112
दिनांक: 15 सितंबर 2025

प्रश्न: सचिवालय में कुल कितने आवास हैं? कितने खाली? कितने अवैध कब्जे में?

उत्तर (जीएडी):

  • कुल आवास: 312
  • खाली: 8 (मरम्मत के कारण)
  • अवैध कब्जे: 47 (14 साल से अधिक पुराने)
  • एक से अधिक आवास: 19 अधिकारियों के पास
  • प्रतीक्षा सूची: 1,842 कर्मचारी (2018 से अब तक)

इनमें से 14 आवास तो ऐसे हैं जिन्हें सेवानिवृत्त अधिकारियों ने 2010 से नहीं छोड़ा। एक आईएएस अधिकारी के पास तो दो टाइप-5 और एक टाइप-3 आवास हैं – कुल 3!

कर्मचारी संघों का संघर्ष: 10 साल का इतिहास

  • 2015: हिमाचल सचिवालय कर्मचारी संघ ने धरना दिया। 500 कर्मचारी सड़क पर।
  • 2017: अनशन। 7 कर्मचारी भूख हड़ताल पर। सरकार ने वादा किया, भूल गई।
  • 2019: हाईकोर्ट में पहली याचिका। मामला लंबित।
  • 2022: महिला कर्मचारियों ने प्रदर्शन। 3 गिरफ्तार।
  • 2025: चालक की याचिका से जीत।

संघ के सचिव सुनील शर्मा कहते हैं, “हम 10 साल से लड़ रहे हैं। आज कोर्ट ने हमारी आवाज सुनी।”

कोर्ट का पूरा आदेश: 28 पेज, 12 बिंदु

न्यायमूर्ति ठाकुर ने अपने आदेश में 12 स्पष्ट निर्देश दिए:

  1. 50,000 जुर्माना 15 दिन में जमा।
  2. अवैध आवंटन तत्काल रद्द।
  3. प्रतीक्षा सूची 7 दिन में वेबसाइट पर।
  4. डिजिटल पोर्टल 3 महीने में।
  5. हर आवंटन से पहले SMS + ईमेल।
  6. कर्मचारी संघ का प्रतिनिधि समिति में।
  7. हर साल थर्ड-पार्टी ऑडिट।
  8. अवैध कब्जे पर 5,000/दिन जुर्माना।
  9. सभी पुराने आवंटनों की जांच।
  10. मासिक रिपोर्ट कोर्ट को।
  11. अवमानना पर 1 लाख जुर्माना।
  12. पोर्टल का मॉडल उत्तराखंड से लें।

डिजिटल पोर्टल: प्रस्तावित मॉडल (कोर्ट के सुझाव)

पोर्टल नाम: HP Secretariat Housing Portal (hshp.hp.gov.in)

┌────────────────────────────────────────────────────┐
│ HP SECRETARIAT HOUSING PORTAL │
│ ============================================== │
│ [लॉगिन] [आवेदन] [प्रतीक्षा सूची] [खाली आवास] │
│ │
│ 👤 कर्मचारी डैशबोर्ड │
│ • आवेदन स्थिति: स्वीकृत / लंबित / अस्वीकृत │
│ • प्रतीक्षा क्रम: 142 / 1842 │
│ • अपेक्षित आवंटन: मार्च 2026 │
│ │
│ 📊 लाइव डेटा │
│ • कुल आवास: 312 │
│ • खाली: 8 (मरम्मत में) │
│ • अगला आवंटन: 15 नवंबर 2025 │
│ │
│ 🔔 अलर्ट सिस्टम │
│ • SMS: "आवास #A-42 खाली। आवेदन 7 दिन में करें।" │
│ • ईमेल: आवंटन पत्र PDF संलग्न │
└────────────────────────────────────────────────────┘

कोर्ट ने सुझाव दिया कि यह पोर्टल उत्तराखंड मॉडल पर आधारित हो, जिसमें Aadhaar लिंक, बायोमेट्रिक लॉगिन और QR कोड आधारित आवंटन पत्र हो।

विशेषज्ञों की राय: क्या कहते हैं कानूनी दिग्गज?

  • एडवोकेट जनरल (रिटा.) वी.के. शर्मा: “यह फैसला प्रशासनिक सुशासन की नई मिसाल है।”
  • प्रो. आर.एस. नेगी (HPU): “हिमाचल में डिजिटल गवर्नेंस की शुरुआत।”
  • RTI कार्यकर्ता देवेंद्र शर्मा: “अब हर विभाग में ऐसा पोर्टल चाहिए।”

सरकार का अगला कदम: 4 सप्ताह की डेडलाइन

मुख्यमंत्री कार्यालय ने तत्काल प्रभाव से एक हाई-पावर कमेटी गठित की है:

पद नाम
अध्यक्ष मुख्य सचिव
सदस्य जीएडी सचिव
सदस्य आईटी सचिव
सदस्य कर्मचारी संघ प्रतिनिधि
तकनीकी सलाहकार NIC हिमाचल

कमेटी को 27 नवंबर 2025 तक पहली रिपोर्ट कोर्ट में जमा करनी है।

संभावित चुनौतियां

  1. पुराने रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण (1973 से)
  2. सेवानिवृत्त अधिकारियों से आवास खाली करवाना
  3. कर्मचारियों का डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण
  4. साइबर सिक्योरिटी

निष्कर्ष: एक याचिका, हजारों की जीत

चालक रमेश कुमार की यह याचिका अब हिमाचल के 1,842 प्रतीक्षा सूची वाले कर्मचारियों की उम्मीद बन गई है। कोर्ट ने न केवल 50,000 का जुर्माना लगाया, बल्कि एक ऐसा सिस्टम बनाने का खाका दिया जो भविष्य में किसी भी मनमानी को रोकेगा।

यह मामला साबित करता है – कानून से ऊपर कोई नहीं। न सचिव, न मुख्यमंत्री।
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