दिल्ली में वायु प्रदूषण का कहर:वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 पार, स्वास्थ्य संकट
दिल्ली में वायु प्रदूषण का कहर:वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 पार, स्वास्थ्य संकट

Post by : Shivani Kumari

Oct. 17, 2025 2:01 p.m. 154

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 450 के पार पहुँच गया है, जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने "खतरनाक" स्तर घोषित किया है। सर्दियों की शुरुआत के साथ शहर में धुंध और जहरीली हवा ने राष्ट्रीय राजधानी को घेर लिया है। बच्चों, बुजुर्ग और सांस संबंधी रोगों से पीड़ित लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, PM2.5 और PM10 कण सामान्य स्तर से लगभग छह गुना अधिक हैं। इससे फेफड़ों और हृदय संबंधी बीमारियों में तेज़ी से वृद्धि हुई है। दिल्ली के अस्पतालों में सांस की बीमारियों और हृदय रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या में 35% का इजाफा देखा गया है।

प्रदूषण के प्रमुख कारण:

  • वाहनों का धुआं और ट्रैफिक जाम
  • पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना
  • औद्योगिक उत्सर्जन और निर्माण कार्यों से धूल
  • कम तापमान और हवा की गति में कमी के कारण प्रदूषक कण जमा होना

दिल्ली सरकार ने तत्काल कदम उठाते हुए:

  • ऑड-ईवन योजना को पुनः लागू किया
  • निर्माण कार्य और विध्वंस गतिविधियों पर अस्थायी रोक लगाई
  • स्कूलों को ऑनलाइन कक्षाओं में स्थानांतरित किया
  • प्रदूषण नियंत्रण में केंद्र और निगरानी टीमों को सक्रिय किया
  • मास्क, एयर प्यूरीफायर और इनडोर पौधों की मांग बढ़ी

विशेषज्ञों का सुझाव: केवल Stage-I उपाय पर्याप्त नहीं हैं। Stage-II और Stage-III जैसे कड़े कदम उठाने होंगे, जिनमें निर्माण कार्यों पर पूर्ण रोक, स्कूलों को बंद करना और वाहनों की संख्या घटाना शामिल है।

दीर्घकालिक समाधान में शामिल हैं:

  • पराली जलाने के वैकल्पिक उपाय, जैसे बायोमास को जैव-ईंधन में बदलना
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना
  • औद्योगिक उत्सर्जन पर कड़ी निगरानी
  • हरित क्षेत्रों का विस्तार और पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाना
  • क्षेत्रीय समन्वय: दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर काम करना

नागरिकों की भूमिका: कम वाहन उपयोग, सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग और घरों में हवा को शुद्ध रखने के उपाय अपनाना आवश्यक है। केवल सरकारी प्रयासों से यह समस्या हल नहीं होगी; सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।

पर्यावरणविद् डॉ. रवि चोपड़ा कहते हैं, "दिल्ली का प्रदूषण राष्ट्रीय आपदा के स्तर पर है। सिंगापुर और बीजिंग ने सख्त नीतियों और तकनीकी नवाचारों से हवा साफ की। भारत को इनसे सीखना चाहिए।"

दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या पिछले दो दशकों से गंभीर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शीर्ष पर है। 2024 में शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से ऊपर रहा, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। दीर्घकालिक प्रदूषण से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग और समय से पहले मृत्यु का खतरा बढ़ता है। प्रदूषण के कारण स्कूल बंद होना, उड़ानें रद्द होना और आर्थिक नुकसान होना आम बात हो गई है।

सरकार ने पहले भी कई योजनाएँ लागू की हैं, जैसे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान), लेकिन इनके परिणाम सीमित रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि नीतियों में निरंतरता और जन जागरूकता की कमी इसकी मुख्य वजह रही है।

दिल्ली सरकार ने 2027 तक वायु गुणवत्ता सूचकांक को 200 से नीचे लाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग, जन जागरूकता अभियान और तकनीकी नवाचार जरूरी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो स्वास्थ्य और पर्यावरणीय संकट और गहरा सकता है। नागरिकों को भी कम वाहन उपयोग, पेड़ लगाने और ऊर्जा संरक्षण जैसे कदम उठाने होंगे। सामूहिक प्रयासों से ही दिल्ली को स्वच्छ हवा मिल सकती है।

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