Post by : Shivani Kumari
शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली क्षेत्र में स्थित विवादित मस्जिद के मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ आ गया है। जिला अदालत ने 30 अक्टूबर 2025 को शिमला नगर निगम आयुक्त के 3 मई 2025 के आदेश को बरकरार रखते हुए पांचों मंजिलों के ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है। यह निर्णय हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद समिति की अपीलों को खारिज करते हुए आया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि मस्जिद का पूरा भवन अवैध है क्योंकि इसका निर्माण बिना उचित अनुमति या स्वामित्व दस्तावेजों के किया गया था।
मुख्य बिंदु: जिला अदालत ने नगर निगम के आदेश को सही ठहराया। वक्फ बोर्ड की अपील खारिज। निर्माण अवैध, दस्तावेज प्रस्तुत न कर पाना कारण। मस्जिद समिति हाईकोर्ट जाने की तैयारी। 16 वर्ष पुराना विवाद समाप्ति की ओर।
यह विवाद कई वर्षों से चला आ रहा था, लेकिन सितंबर 2024 में हुई हिंसक घटनाओं के बाद यह फिर से सुर्खियों में आ गया। स्थानीय निवासियों और हिंदू संगठनों ने लंबे समय से इस मस्जिद को अवैध बताते हुए ध्वस्तीकरण की मांग की थी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश यजुवेंद्र सिंह की अदालत ने अपीलों पर सुनवाई के बाद विस्तृत फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि निचली दो मंजिलें भी अवैध हैं।
“यह निर्णय कानून के समक्ष सभी की समानता को दर्शाता है। कोई भी अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं दिया जा सकता। हम नगर निगम आयुक्त से समयबद्ध ध्वस्तीकरण की मांग करेंगे।”
— जगत पाल, स्थानीय निवासियों के वकील
विवाद की जड़ें 2010 में हैं, जब स्थानीय निवासियों ने शिकायत दर्ज की थी कि संजौली में पांच मंजिला यह भवन बिना नगर निगम की अनुमति के बनाया गया है। भूमि का स्वामित्व भी वक्फ बोर्ड के नाम पर सिद्ध नहीं हो सका। नगर निगम आयुक्त की अदालत ने 5 अक्टूबर 2024 को ऊपरी तीन मंजिलों के ध्वस्तीकरण का आदेश दिया था, जिसके बाद कुछ तोड़फोड़ का कार्य शुरू हो गया था। लेकिन मस्जिद समिति ने निचली दो मंजिलों को वैध बताते हुए अपील की, जो अब खारिज हो गई है।
अदालत ने पाया कि वक्फ बोर्ड और मस्जिद समिति कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने में असफल रही। इससे पहले 30 नवंबर 2024 को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश प्रवीण गर्ग की अदालत ने भी पहली अपील खारिज की थी। यह फैसला चार आदेशों की श्रृंखला का हिस्सा है, जो सभी अवैध निर्माण के खिलाफ हैं।
प्रक्रिया की समयरेखा को समझने के लिए निम्न बिंदु महत्वपूर्ण हैं:
घटनाक्रम समयरेखा:
इस दौरान 50 से अधिक सुनवाइयाँ हुईं, जो इस मामले की जटिलता को दर्शाती हैं।
मस्जिद समिति के अध्यक्ष मुहम्मद लतीफ ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में अपील करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर सर्वोच्च न्यायालय भी जाएंगे। उनका कहना है कि मस्जिद का उपयोग धार्मिक प्रयोजन के लिए हो रहा है और इसका ध्वस्तीकरण समुदाय को प्रभावित करेगा।
“हम इस फैसले को मान्य नहीं मानते। मस्जिद समुदाय की धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है। हम कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगे और न्याय की उम्मीद करते हैं।”
— मुहम्मद लतीफ, संजौली मस्जिद समिति अध्यक्ष
दूसरी ओर, देवभूमि संघर्ष समिति जैसे हिंदू संगठनों ने फैसले का स्वागत किया है। समिति के सदस्यों का कहना है कि यह सनातन समाज की जागृति का परिणाम है। सितंबर 2024 में हुई हिंसक प्रदर्शनों के बाद राज्य भर में 21 विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें शिमला, कांगड़ा, सोलन, कुल्लू, मंडी और बिलासपुर जिले सबसे अधिक प्रभावित थे। इन प्रदर्शनों के दौरान करीब 2400 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।
विवाद ने हिमाचल प्रदेश में अवैध धार्मिक निर्माणों पर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला भूमि उपयोग नियमों और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन का उदाहरण है। नगर निगम अधिनियम के अनुसार, कोई भी भवन बिना अनुमति के नहीं बनाया जा सकता, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।
कानूनी प्रावधान और विशेषज्ञ मत:
अदालत ने फैसले में स्पष्ट किया कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए भी कानून का पालन अनिवार्य है।
यह मामला केवल संजौली तक सीमित नहीं रहा। अगस्त 2024 में मेहली में दो समुदायों के बीच हुई झड़प के बाद यह पूरे राज्य में फैल गया। 31 अगस्त को हुई घटना में कुछ सदस्यों के मस्जिद में शरण लेने का आरोप लगा, जिससे तनाव बढ़ा। 11 सितंबर को शिमला में हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसमें लाठीचार्ज और वाटर कैनन का उपयोग करना पड़ा। दस लोग घायल हुए, जिनमें छह पुलिसकर्मी शामिल थे।
मस्जिद समिति ने पहले ऊपरी तीन मंजिलों को स्वयं ध्वस्त करने का आश्वासन दिया था, लेकिन निचली मंजिलों पर विवाद रहा। अदालत ने 19 मई 2025 को समन जारी किया और 26 मई को अंतरिम स्थगन दिया, जो 5 जुलाई तक बढ़ा। अगस्त-सितंबर में विस्तृत सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया।
अब अगला कदम ध्वस्तीकरण का है। देवभूमि संघर्ष समिति नगर निगम आयुक्त से मिलकर समयबद्ध कार्य की मांग करेगी। वे हाईकोर्ट में भी याचिका दायर करेंगे ताकि कोई स्थगन न मिले। वक्फ बोर्ड ने भी अपील की तैयारी शुरू कर दी है।
राज्य स्तर पर प्रभाव:
इस फैसले से हिमाचल के अन्य जिलों में अवैध निर्माणों पर नजर पड़ सकती है। किन्नौर और लाहौल-स्पीति को छोड़कर सभी जिलों में प्रदर्शन हुए थे। सरकार ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं।
| जिला | प्रदर्शन संख्या | पुलिस तैनाती |
|---|---|---|
| शिमला | 8 | 800 |
| कांगड़ा | 5 | 600 |
| सोलन | 4 | 400 |
| कुल्लू | 2 | 300 |
| मंडी | 1 | 200 |
| बिलासपुर | 1 | 100 |
ये आंकड़े राज्य पुलिस के हैं।
विश्व हिंदू परिषद ने फैसले को अन्य अवैध मस्जिदों के लिए मिसाल बताया है। लेकिन मुस्लिम संगठनों ने शांति की अपील की है। यह मामला धार्मिक सद्भाव की परीक्षा है।
शिमला जैसे पर्यटन नगरी में यह विवाद शहर की छवि को प्रभावित कर रहा है। स्थानीय व्यापारी चिंतित हैं कि तनाव से पर्यटन प्रभावित हो सकता है। सरकार ने शांति समितियों का गठन किया है।
भविष्य की संभावनाएँ:
यह फैसला कानूनी प्रक्रिया की जीत है, लेकिन सामाजिक सद्भाव की चुनौती बाकी है। सभी पक्षों से अपील है कि शांति बनाए रखें।
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