कुल्लू दशहरे पर तीन साल में 105 करोड़ खर्च, सदन में पेश हुआ ब्यौरा
कुल्लू दशहरे पर तीन साल में 105 करोड़ खर्च, सदन में पेश हुआ ब्यौरा

Post by : Khushi Joshi

Dec. 5, 2025 12:34 p.m. 170

शिमला में चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान कुल्लू दशहरे को लेकर बड़ा खुलासा किया गया। प्रश्नकाल में आनी के विधायक लोकेंद्र कुमार को सरकार की ओर से विस्तृत जवाब सौंपा गया, जिसमें बताया गया कि पिछले तीन वर्षों में कुल्लू दशहरा एवं अन्य मेलों पर भारी राशि खर्च की गई है। सरकार के अनुसार प्रदेश में 31 अक्तूबर 2025 तक विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों पर कुल 105 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

इस दौरान प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में 584 सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए, जिनमें स्थानीय और बाहरी कलाकारों को आमंत्रित किया गया। कलाकारों पर हुए कुल खर्च, मंच व्यवस्थाओं और अन्य इंतज़ामों का विवरण भी जवाब के साथ प्रस्तुत किया गया है।

कुल्लू दशहरा 2025 के आयोजन पर 7 करोड़ 85 लाख से अधिक राशि खर्च हो चुकी है। सरकार ने स्पष्ट किया कि इसके लिए किसी अतिरिक्त बजट की मांग नहीं की गई और आवश्यक धनराशि उत्सव मद, खुले मैदानों के आबंटन, बिजली परियोजनाओं तथा अन्य संस्थागत मदों से जुटाई गई।

देवी-देवताओं की परंपरा से जुड़े इस आयोजन में इस वर्ष 264 देव मंदिर शामिल हुए। इन्हें 73 लाख 89 हजार रुपये का सम्मानिक नजराना प्रदान किया गया। वहीं देवताओं के साथ आने वाले बजंतरियों को 55 लाख 75 हजार रुपये के लगभग राशि दी गई।

जवाब में यह भी बताया गया कि आयोजन स्थल पर देवालय कॉलोनियों में बिजली की सुविधा बिना किसी शुल्क के उपलब्ध करवाई जाती है। इसके साथ ही अस्थायी शौचालय, स्नान सुविधाएं और देव सदन में आवश्यक व्यवस्थाएं की जाती हैं। सस्ती दरों पर राशन और गैस सिलिंडर की सुविधा भी प्रदान की जाती है।

सरकार ने स्पष्ट किया कि जो मंदिर समितियां अन्य जिलों से यहां आती हैं, उन्हें भी समान सुविधाएं दी जाती हैं। किसी भी होटल, रेस्ट हाउस या होम-स्टे में कमरे आरक्षित कर देव समितियों के लिए अलग से ठहराव उपलब्ध नहीं करवाया गया है और भविष्य में भी ऐसी अलग व्यवस्था का प्रस्ताव नहीं है।

कुल्लू दशहरा हिमाचल प्रदेश की पहचान है, इसलिए इस आयोजन में होने वाले खर्च और व्यवस्थाओं को लेकर सदन में गहन चर्चा रही। सरकार का कहना है कि प्रदेश की संस्कृति, देव परंपरा और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह निवेश आवश्यक है और इसके माध्यम से हजारों लोगों को दैनिक एवं मौसमी रोजगार भी मिलता है।

आंकड़े पेश होने के बाद विपक्ष की ओर से कुछ सवाल जरूर उठे, लेकिन सरकार का तर्क था कि इस स्तर के अंतरराष्ट्रीय उत्सव को बेहतरीन ढंग से संचालित करने के लिए यही व्यवस्थाएं जरूरी हैं।

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