हिमाचल प्रदेश के मेले, जत्राएँ और पारंपरिक नृत्य-संगीत की समृद्ध विरासत
हिमाचल प्रदेश के मेले, जत्राएँ और पारंपरिक नृत्य-संगीत की समृद्ध विरासत

Post by : Shivani Kumari

Oct. 14, 2025 11:14 a.m. 193

हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत का विस्तार

हिमाचल प्रदेश एक उत्तर भारतीय राज्य है जो अपनी बहुसांस्कृतिक, बहुभाषी, और ऐतिहासिक विशिष्टताओं के लिए जाना जाता है। यहाँ हिंदी, कांगड़ी, पहाड़ी, पंजाबी तथा डोगरी भाषाएँ बोली जाती हैं। यहाँ के प्रमुख जनजातीय समूहों में गद्दी, किन्नर, गुज्जर, पनवाल और लाहौल शामिल हैं जो अपनी प्राचीन और जीवंत सांस्कृतिक पहचान बनाए हुए हैं। हिमाचल की जनजातीय समाज की परंपराएं, रीति-रिवाज और लोकजीवन, राज्य की सांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध करते हैं।

मेले और त्योहार

राज्य में विभिन्न प्रकार के मेले और त्योहार होते हैं जो धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उत्सव का रूप लेते हैं। इनमें कुल्लू दशहरा, मिनजर मेला (चंबा), लवी मेला (रामपुर बुशहर), सुकेत मेला (सुंदर नगर), नलवाड़ी मेला (बिलासपुर) और नवरात्रि मेला प्रमुख हैं। ये मेले न केवल स्थानीय लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, बल्कि ये बड़ी संख्या में पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं।

  • कुल्लू दशहरा: देवताओं की घाटी के रूप में प्रसिद्ध कुल्लू दशहरा धार्मिक विश्वास और लोक कला का जीवंत प्रदर्शन है।

  • मिनजर मेला: यह मेला कृषि और विजय उत्सव के तौर पर मनाया जाता है जिसमें झांकियां, लोक गीत और नृत्य शामिल हैं।

  • नलवाड़ी मेला: बिलासपुर जिले में आयोजित यह पशु मेला और मनोरंजन का एक बड़ा त्योहार है।

लोक कला और हस्तशिल्प

हिमाचल प्रदेश की लोक कला कांगड़ा चित्रकला, कश्मीरी पश्मीना शालें, कुल्लू की टोपी, और चंबा की कशीदाकारी में बेहतरीन झलक मिलती है। ये हस्तशिल्प कला ना केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान हैं, बल्कि स्थानीय कारीगरों की आय का प्रमुख स्रोत भी हैं।

लोक नृत्य एवं संगीत

किन्नौरी नाटी, कांगड़ा घुमर, गद्दी नृत्य, और चम्बा रास हिमाचल प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य हैं जो धार्मिक और सामाजिक जीवन की अभिव्यक्ति हैं। इन नृत्यों के साथ पारंपरिक वाद्ययंत्रों जैसे ढोलक, बांसुरी और शहनाई का प्रयोग होता है।

पर्यटन और विरासत स्थल

शिमला, मनाली, धर्मशाला, स्पीति घाटी और प्रागपुर विरासत गांव जैसे पर्यटन स्थल हिमाचल की सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता का मिश्रण प्रस्तुत करते हैं। प्रागपुर विरासत गांव, मसरूर रॉक कट मंदिर, नूरपुर किला जैसे स्थल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं।

संरक्षण प्रयास

हिमाचल प्रदेश का भाषा एवं संस्कृति विभाग राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण, अभिलेखन और प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर कार्यरत है। डिजिटल माध्यमों के जरिए लोक कला और परंपराओं को आधुनिक पीढ़ी तक पहुंचाने का भी प्रयास किया जा रहा है।

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