Post by : Shivani Kumari
हिमाचल प्रदेश सरकार ने आगामी पंचायत चुनावों को स्थगित करने का निर्णय लिया है। ये चुनाव मूल रूप से दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में होने वाले थे। मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत यह आदेश जारी किया, जिसमें मानसून के कारण हुई व्यापक बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति को ध्यान में रखा गया।
निर्णय का पृष्ठभूमि
मानसून, जो 19 जून 2025 को शुरू हुआ, ने राज्य में 47 बादल फटने, 98 अचानक बाढ़ और 148 बड़े भूस्खलनों की घटनाओं को जन्म दिया। इसके परिणामस्वरूप 270 लोग मारे गए और 1,800 से अधिक घर नष्ट हुए, जबकि 8,300 से ज्यादा आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। अनुमानित आर्थिक नुकसान ५,४२६ करोड़ रुपये है। इसके अलावा पश्चिमी विक्षोभ के कारण बाद के मानसून में भी भारी वर्षा हुई, जिससे और हानि हुई।
जिला कलेक्टरों ने मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला जिलों में चुनाव स्थगित करने की सिफारिश की, क्योंकि सड़क संपर्क की समस्या और सर्दियों की कठिनाइयाँ चुनाव संचालन को प्रभावित कर सकती थीं।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा कि चुनाव रद्द नहीं हुए हैं, बल्कि सड़क संपर्क बहाल होने के बाद आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "हमारी प्राथमिकता प्रभावित लोगों को राहत देना और क्षतिग्रस्त घरों के लिए मुआवजा सुनिश्चित करना है।"
सुखू ने विपक्ष पर भी आरोप लगाया कि वे आपदा की स्थिति का राजनीतिकरण करके उनकी छवि को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "कुछ नेता मेरी छवि को नुकसान पहुँचाने के लिए योजनाबद्ध प्रयास कर रहे हैं।"
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने चुनाव स्थगन की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार इसे चुनाव स्थगित करने के लिए बहाना बना रही है। उनका दावा है कि यह कदम राजनीतिक रूप से प्रेरित है और संभावित हार से बचने के लिए उठाया गया है।
राहत और पुनर्वास प्रयास
आपदा के बाद राज्य सरकार राहत और पुनर्वास कार्यों में सक्रिय है। 7 अक्टूबर 2025 को मुख्यमंत्री सुखू ने पांच वाहनों को रवाना किया, जिनमें खाद्य सामग्री, बर्तन, कंबल और तिरपाल जैसी आवश्यक वस्तुएँ थीं, जो Lions Club द्वारा दान की गईं। ये सामग्री प्रभावित परिवारों को वितरित की जाएंगी।
इसके अलावा, सरकार जनवरी 2026 में विश्व बैंक के सहयोग से हिमाचल प्रदेश आपदा पुनर्वास परियोजना शुरू करेगी। इस परियोजना का उद्देश्य बुनियादी ढांचे की बहाली, पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना और बाढ़ रोकने के उपाय लागू करना है।
हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों का स्थगन यह दर्शाता है कि सरकार चुनावों की तुलना में आपदा राहत और पुनर्वास को प्राथमिकता दे रही है। राजनीतिक बहस जारी रहने के बावजूद, सरकार का ध्यान प्रभावित समुदायों को सहायता प्रदान करने और सड़क संपर्क बहाल करने पर केंद्रित है।
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