Post by : Shivani Kumari
कोडरमा। झूमर टोलिया क्षेत्र के उजाला कॉम्प्लेक्स में उस समय हड़कंप मच गया जब बिल्डर ने कॉम्प्लेक्स के मुख्य रास्ते पर अवैध निर्माण कर दुकानदारों के आवागमन का रास्ता ही बंद कर दिया। दुकानदारों ने बिल्डर पर मनमानी, धौंस और कानून की अवहेलना का गंभीर आरोप लगाते हुए प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। यह मामला अब कोर्ट तक पहुँचने की कगार पर है और स्थानीय लोग इसे “बिल्डर दबंगई का खुला नमूना” बता रहे हैं।
मुख्य बिंदु: उजाला कॉम्प्लेक्स के 60 से अधिक दुकानदार प्रभावित। रास्ता बंद होने से ग्राहक नहीं पहुँच पा रहे। बिल्डर ने बिना अनुमति निर्माण शुरू किया। दुकानदारों ने डीसी, एसडीओ को ज्ञापन सौंपा।
यह पूरा विवाद उजाला कॉम्प्लेक्स के उस हिस्से से जुड़ा है जो कॉम्प्लेक्स के भीतर दुकानों तक जाने वाला एकमात्र मुख्य मार्ग है। इस मार्ग पर बिल्डर ने अचानक ईंट, सीमेंट और लोहे की छड़ें डालकर निर्माण कार्य शुरू कर दिया। दुकानदारों का कहना है कि यह रास्ता सार्वजनिक उपयोग का है और इसे निजी संपत्ति बताकर बंद करना पूरी तरह गैरकानूनी है।
“हमने यहाँ दुकानें सालों पहले खरीदी थीं। रास्ते का इस्तेमाल सभी करते थे। अचानक बिल्डर ने इसे अपना बताकर बंद कर दिया। अब ग्राहक कैसे आएँगे? हमारा धंधा चौपट हो रहा है।”
— अनिल झा, दुकानदार संघ अध्यक्ष, कोडरमा
उजाला कॉम्प्लेक्स कोडरमा शहर के व्यस्ततम इलाके झूमर टोलिया में स्थित है। यहाँ Eylex सिनेमा हॉल, दर्जनों दुकानें, रेस्तराँ और ऑफिस हैं। कॉम्प्लेक्स का मुख्य प्रवेश द्वार सड़क से सीधे जुड़ा हुआ है, लेकिन भीतर जाने के लिए एक संकरा गलियारा है, जिसे अब बिल्डर ने अपने कब्जे में ले लिया है।
दुकानदारों के अनुसार, बिल्डर ने यह दावा किया है कि यह जमीन उनकी निजी संपत्ति है और वे यहाँ पार्किंग या नया शोरूम बनाने जा रहे हैं। लेकिन दुकानदारों के पास पुराने दस्तावेज हैं जिनमें स्पष्ट लिखा है कि यह रास्ता “सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित” है।
एक वरिष्ठ दुकानदार मोहम्मद निसार ने बताया:
दुकानदारों ने एकजुट होकर उजाला कॉम्प्लेक्स दुकानदार कल्याण संघ बनाया है। इस संघ के अध्यक्ष अनिल झा ने बताया कि:
दुकानदारों ने प्रशासन को कई बार ज्ञापन सौंपा है। हाल ही में उन्होंने उपायुक्त और अनुमंडल पदाधिकारी को संयुक्त ज्ञापन सौंपकर माँग की है कि:
हालाँकि, बिल्डर के प्रतिनिधि संजय कुमार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है:
“यह जमीन हमारी निजी संपत्ति है। हम यहाँ पार्किंग बना रहे हैं ताकि कॉम्प्लेक्स में सुविधा बढ़े। दुकानदारों को पहले से सूचना दी गई थी। वे सिर्फ़ हमें बदनाम करना चाहते हैं।”
बिल्डर ने यह भी दावा किया कि उनके पास सभी आवश्यक अनुमतियाँ हैं। लेकिन जब उनसे दस्तावेज माँगे गए तो वे दिखाने में असमर्थ रहे। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, नगर परिषद से कोई स्वीकृति नहीं ली गई है।
झारखंड भवन निर्माण उपनियम, 2016 के अनुसार:
वरिष्ठ अधिवक्ता आर.के. सिंह का कहना है:
“यदि यह रास्ता मूल प्लान में सार्वजनिक है, तो इसे बंद करना पूरी तरह अवैध है। दुकानदार कोर्ट में स्थगन आदेश ले सकते हैं और बिल्डर को निर्माण रोकना पड़ेगा।”
अनुमंडल पदाधिकारी शशि रंजन ने बताया कि उन्हें शिकायत मिली है और जाँच के आदेश दे दिए गए हैं। नगर परिषद की टीम ने मौके पर जाकर मापी की है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन दुकानदारों का कहना है कि प्रशासन केवल खानापूरी कर रहा है। वे चाहते हैं कि तत्काल निर्माण रोका जाए, वरना वे सड़क जाम और भूख हड़ताल पर उतर आएँगे।
यह मामला अब केवल दुकानदारों तक सीमित नहीं रहा। स्थानीय लोग भी परेशान हैं। Eylex सिनेमा जाने वाले दर्शक अब पार्किंग और रास्ते की समस्या से जूझ रहे हैं। एक दर्शक प्रियंका कुमारी ने कहा:
“सिनेमा देखने आए तो गाड़ी खड़ी करने की जगह नहीं। रास्ता बंद है। मजबूरन हमें दूर पार्क करना पड़ता है। यहाँ की सुरक्षा भी चिंता का विषय है।”
यह पहली बार नहीं है जब कोडरमा में बिल्डरों की दबंगई सामने आई हो। साल 2022 में सेंट्रल प्लाजा में भी ऐसा ही विवाद हुआ था जहाँ बिल्डर ने लिफ्ट बंद कर दी थी। तब हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझा था।
दुकानदार अब उसी रास्ते पर चलने की तैयारी कर रहे हैं। वे कोर्ट जाने की पूरी तैयारी कर चुके हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस समस्या का समाधान निम्न तरीकों से हो सकता है:
| समाधान | जिम्मेदार | समयसीमा |
|---|---|---|
| अवैध निर्माण ध्वस्त करना | नगर परिषद | 7 दिन |
| मास्टर प्लान की जाँच | एसडीओ कार्यालय | 15 दिन |
| वैकल्पिक रास्ता बनाना | बिल्डर + प्रशासन | 30 दिन |
| कानूनी कार्रवाई | पुलिस | तत्काल |
अगर प्रशासन ने 7 दिनों में कोई कार्रवाई नहीं की, तो दुकानदारों ने 3 नवंबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने की चेतावनी दी है। वे डीसी कार्यालय के सामने धरने पर बैठेंगे।
दूसरी ओर, बिल्डर ने भी कानूनी नोटिस भेजने की बात कही है। मामला अब कोर्ट पहुँचना तय माना जा रहा है।
उजाला कॉम्प्लेक्स का यह विवाद सिर्फ़ एक रास्ते का मामला नहीं है। यह है कानून की अवहेलना, प्रशासन की निष्क्रियता और आम जनता की मजबूरी का प्रतीक। अगर समय रहते हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो कोडरमा जैसे छोटे शहरों में बिल्डरों की दबंगई और बढ़ेगी।
प्रशासन से अपील है कि वह तथ्यों की निष्पक्ष जाँच करे और जनहित में त्वरित कार्रवाई करे। दुकानदारों का धंधा बचाना ही नहीं, शहर की विश्वसनीयता बचाना भी जरूरी है।
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