Post by : Shivani Kumari
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले स्थित लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज, नेरचौक में हाल ही में रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत की गई है। यह पहल राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को आधुनिक और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में स्मार्ट डायग्नोस्टिक लैब्स और नई एमआरआई मशीनों की स्थापना की योजना भी है। इससे मरीजों को तेज़, सुरक्षित और सटीक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध होंगी।
रोबोटिक सर्जरी 1980–1990 के दशक में विकसित हुई। दुनिया भर में दा विंची सर्जिकल सिस्टम और अन्य तकनीकें सर्जरी को कम इनवेसिव, सुरक्षित और सटीक बनाने के लिए उपयोग में लाई जा रही हैं।
भारत में यह तकनीक मुख्यतः बड़े शहरों में शुरू हुई थी। हिमाचल प्रदेश में यह पहले शिमला और कांगड़ा के मेडिकल कॉलेजों में सीमित रूप से उपलब्ध थी। अब नेरचौक मेडिकल कॉलेज में इसे विस्तारित किया गया है।
रोबोटिक सर्जरी सर्जन की हल्की गति को रोबोट द्वारा नियंत्रित करती है। प्रमुख सिस्टम: दा विंची, माको, रोज़ा. फायदे: कम इनवेसिव, उच्च सटीकता, तेज रिकवरी, कम जोखिम।
भारत: शिमला और कांगड़ा – सफल ऑपरेशन, मरीजों की रिकवरी तेज़। दिल्ली और मुंबई – दा विंसी सिस्टम का उपयोग।
विश्व: अमेरिका और यूरोप – कार्डियक, न्यूरोलॉजिकल और ऑर्थोपेडिक ऑपरेशन। जापान और दक्षिण कोरिया – ऐ और दूरस्थ सर्जरी।
रिकवरी समय 40–50% कम। दर्द कम और ऑपरेशन सटीक। स्मार्ट लैब्स से रिपोर्टिंग तेज़ और भरोसेमंद।
उदाहरण: श्री रवि कुमार, हिप सर्जरी मरीज: "रोबोटिक सर्जरी ने मेरे ऑपरेशन को सुरक्षित और तेज़ बनाया। रिकवरी बहुत आसान हुई।"
डॉ. राघव शर्मा: "रोबोटिक सर्जरी से ऑपरेशन की सफलता बढ़ी और रिकवरी समय घटा।"
डॉ. सुमित वर्मा: "ऐ और स्मार्ट लैब्स से हिमाचल में स्वास्थ्य सेवाओं का भविष्य उज्जवल है।"
नेरचौक मेडिकल कॉलेज में रोबोटिक सर्जरी और स्मार्ट डायग्नोस्टिक लैब्स की स्थापना हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में आधुनिकता, सटीकता और सुरक्षा लाने का बड़ा कदम है। आने वाले वर्षों में ऐ और दूरस्थ सर्जरी जैसी तकनीकें राज्यभर में उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में क्रांति लाएंगी।
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