अनुराग ठाकुर बोले: वंदे मातरम् राष्ट्रभक्ति की ऊर्जा, विरोधियों को एलर्जी
अनुराग ठाकुर बोले: वंदे मातरम् राष्ट्रभक्ति की ऊर्जा, विरोधियों को एलर्जी

Post by : Khushi Joshi

Dec. 9, 2025 12:50 p.m. 186

हमीरपुर। लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष चर्चा हुई, जिसमें हमीरपुर के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने जोरदार संबोधन देकर सदन का ध्यान अपनी ओर खींचा। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् कोई साधारण गीत नहीं, बल्कि भारत की अस्मिता, त्याग और राष्ट्रप्रेम की शाश्वत अभिव्यक्ति है। यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों की शक्ति रहा और आज भी हर देशभक्त के लिए आत्मविश्वास और उत्साह का स्रोत है।

अनुराग ठाकुर ने विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि वंदे मातरम् से राष्ट्रभक्तों को ऊर्जा मिलती है, जबकि राष्ट्रविरोधी मानसिकता रखने वालों को इससे एलर्जी होती है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् से कांग्रेस की असहजता समझ से परे है। जो गीत इस देश की पहचान है, उसे लेकर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने याद दिलाया कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित यह गीत आज़ादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों की पहली पसंद रहा। हर आंदोलन, हर प्रदर्शन में यह नारा जज्बा पैदा करता रहा। लाखों लोगों ने वंदे मातरम् कहते हुए हंसते-हंसते देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व ने जवाहरलाल नेहरू के दबाव में इस गीत के मूल अंश हटाए, जिनमें मातृशक्ति और देवी दुर्गा की स्तुति शामिल थी। उनका कहना था कि इन हिस्सों में भारत की सांस्कृतिक शक्ति का दर्शन था, लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति के कारण उन पंक्तियों को दरकिनार कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि वही मानसिकता बाद में विभाजन का कारण बनी।

उन्होंने कांग्रेस को चुनौती दी कि यदि इस गीत से उन्हें प्रेम है, तो आज 150 वर्ष बाद वे उस गलती को ठीक करें और मूलरूप में वंदे मातरम् को सम्मान दें। लेकिन साथ ही उन्होंने तंज कसा कि आज की कांग्रेस नेतृत्व से राष्ट्रहित में कोई महत्वपूर्ण फैसला लेने की उम्मीद करना बेकार है, क्योंकि वे अपनी राजनीतिक सोच और पुराने गठबंधनों में जकड़े हुए हैं।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि वंदे मातरम् कोई धर्म विशेष का नहीं, बल्कि भारत भूमि को माता मानकर उसकी पूजा करने का संदेश है। यह करोड़ों भारतीयों की भावनाओं का स्वर है, जिसे न तो समय मिटा सका और न ही कोई राजनीतिक विचारधारा। उन्होंने कहा कि जब भारत के 150 वर्षों के इस अमर गीत को लेकर संसद में गर्व से चर्चा हो रही है, तो उम्मीद है कि देश की युवा पीढ़ी भी इस गीत की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता को समझेगी और इसे अपने दिल में स्थान देगी।

उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् भारत को एक सूत्र में पिरोता है, इसलिए इससे डरने वालों से बड़ा कोई दुर्भाग्य नहीं हो सकता। आज जब संसद इसे सम्मान दे रही है, देशभक्तों का सम्मान और भी बढ़ रहा है।

उनके भाषण के दौरान कई बार तालियों से सदन गूंज उठा और माहौल देशभक्ति से भरा नजर आया।

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