Post by : Shivani Kumari
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में शुक्रवार सुबह एक भयावह भूस्खलन ने भयंकर तबाही मचाई। नैशनल हाईवे के किनारे चलते समय एक यात्री बस अचानक भूस्खलन की चपेट में आ गई। हादसे में अब तक 15 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई अन्य घायल हैं या लापता बताए जा रहे हैं। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है, स्थानीय प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ, अग्निशमन विभाग और स्वयंसेवी दल लगातार रेस्क्यू कर रहे हैं। बचे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए आधुनिक मशीनों और डॉग स्क्वायड की मदद ली जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह हादसा आज सुबह तकरीबन छह बजे हुआ जब मंडी से हमीरपुर की ओर जा रही निजी वॉल्वो बस अचानक बड़ी चट्टानों और कीचड़ में दब गई। बस में करीब 36 यात्री सवार थे। घायलों को तुरंत बिलासपुर मेडिकल कॉलेज और गंभीर स्थिति वालों को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया गया है। घटनास्थल पर चीख-पुकार और अफरा-तफरी मच गई। इलाके के स्थानीय लोग और प्रशासनिक अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। राहत अभियान के लिए जेसीबी, क्रेन, एंबुलेंस और विशेष उपकरण तैनात किए गए।
बिलासपुर के डीसी ने हादसे की पुष्टि करते हुए कहा कि यह स्थल पिछले कुछ समय से भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील माना गया था। रिकॉर्ड तोड़ बारिश और निर्माण गतिविधियों के कारण ज़मीन कमजोर हो गई थी। स्थानीय मौसम विभाग के अनुसार, पहाड़ियों में भारी वर्षा का सिलसिला कुछ दिनों से लगातार जारी है, जिससे मिट्टी और चट्टानों में पकड़ ढीली हुई।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हादसे पर गहरा दुख जताया और मृतकों के परिवारों के लिए 5-5 लाख रुपये की सहायता का ऐलान किया है। घायलों का सरकार खर्च पर नि:शुल्क इलाज कराया जा रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री ने NDRF की अधिकारी टीम से तत्काल रिपोर्ट मांगी है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी राज्य सरकार से संपर्क कर राहत सामग्री और विशेषज्ञ मदद भेजने का आदेश दिया है।
घटनास्थल के चश्मदीदों ने बताया, “कुछ ही पलों में पहाड़ से पत्थर, मिट्टी और पानी की तेज लहर बस की ओर बढ़ गई। ड्राइवर ने बस रोकी, लेकिन भूस्खलन की गति इतनी तेज थी कि कुछ ही सेकंड में पूरा वाहन मलबे में समा गया। यात्रियों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग भागकर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू किया।"
प्रशासन ने घटनास्थल के करीब सड़कों को अस्थायी रूप से बंद कर ट्रैफिक डायवर्ट किया है। आसपास के मकानों और दुकानों को भी एहतियातन खाली करा लिया गया है। मोबाइल नेटवर्क प्रभावित हुआ है, मगर प्रशासन और स्थानीय लोग राहत कार्य में जुटे हैं। हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिए गए हैं:
बीते कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन की घटनाओं में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, पहाड़ी इलाकों में अनियंत्रित निर्माण, सड़क चौड़ीकरण और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जैसे कारणों से ज़मीन की स्थिरता कम हो गई है। 2022 में भी कुल्लू, चंबा, मंडी और शिमला जैसे जिलों में बड़े स्तर पर लैंडस्लाइड की घटनाएँ घट चुकी हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि हिमाचल में मॉनसून सीज़न के दौरान राज्य का करीब 70% क्षेत्र भूस्खलन-प्रवण श्रेणी में आ जाता है।
राहत एवं पुनर्वास कार्य के लिए राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के त्वरित पुनर्वास, नौकरियों में प्राथमिकता और आर्थिक सहायता के अलावा मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग जैसी सेवाओं को प्राथमिकता दी है। हिमाचल आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ग्रामीण क्षेत्रों में लैंडस्लाइड वार्निंग सिस्टम लगाने और ड्रोन तकनीक के जरिए मॉनिटरिंग तेज करने की नीति का ऐलान किया। इस आपदा से सीख लेते हुए जलवायु और इन्फ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञ हिमालयी राज्यों में निर्माण को सस्टेनेबल प्लानिंग के साथ जोड़ने की मांग कर रहे हैं।
सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के जरिए चल रहीं राहत टीमों ने बताया है कि अभी भी कई यात्रियों और राहगीरों की तलाश जारी है। उनके परिजन घटनास्थल के पास मदद व जानकारी के लिए जुटे रहे। राज्य में ऐसे हादसों से निपटने के लिए भविष्य की रणनीति पर गंभीर मंथन शुरू हो चुका है। प्रदेश सरकार ने सभी पर्यटकों से खराब मौसम में पहाड़ी रास्तों और संवेदनशील स्थानों से बचने, ट्रैवल अलर्ट फॉलो करने की अपील की है।
यह घटना बताती है कि हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम कितना अधिक है। हेल्थ, रेस्क्यू, इंश्योरेंस और डिजास्टर मेनेजमेंट की योजनाओं को और मजबूत करने की जरूरत जोर पकड़ रही है। जलवायु परिवर्तन और विकासात्मक गतिविधियों के बीच संतुलन बनाते हुए प्रदेश सरकार, वैज्ञानिकों और स्वयंसेवी संगठनों को मिलकर ठोस समाधान तलाशने होंगे।
फिलहाल, प्रशासन और राहत दलों की प्राथमिकता दबे हुए लोगों को बचाना, घायलों का इलाज, प्रभावित परिवारों की हरसंभव सहायता और स्थिति सामान्य करना है। इस भयावह हादसे ने पूरे प्रदेश में शोक व चिंता की लहर दौड़ा दी है। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन लगातार राहत में जुटा रहेगा, और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा।
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