ओलंपिक पदक विजेता फिलिप नोएल-बेकर को 1959 में मिला नोबेल शांति पुरस्कार
ओलंपिक पदक विजेता फिलिप नोएल-बेकर को 1959 में मिला नोबेल शांति पुरस्कार

Post by : Shivani Kumari

Oct. 17, 2025 3:52 p.m. 165

ओलंपिक पदक विजेता फिलिप नोएल-बेकर को 1959 में मिला नोबेल शांति पुरस्कार

1920 एंटवर्प ओलंपिक रजत पदक विजेता फिलिप नोएल-बेकर फिलिप जॉन नोएल-बेकर एक ऐसे अनोखे व्यक्तित्व थे जिन्होंने खेल, राजनीति, कूटनीति और शांति के क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। वे ब्रिटिश राजनेता, कूटनीतिज्ञ, विद्वान, एथलीट और निरस्त्रीकरण के प्रखर समर्थक थे। ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीतने वाले वे एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला।

1920 के एंटवर्प ओलंपिक में 1500 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल हासिल करने के बाद, 1959 में उन्हें "निरस्त्रीकरण और शांति के कारणों में उनके लंबे समय से योगदान" के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके जीवन भर के प्रयासों का प्रतीक था, जिसमें लीग ऑफ नेशंस और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठनों की स्थापना और संचालन में योगदान शामिल था।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

फिलिप का जन्म 1 नवंबर 1889 को लंदन के ब्रॉन्ड्सबरी पार्क में हुआ था। वे कनाडा-जन्मे क्वेकर पिता जोसेफ एलन बेकर और स्कॉटिश मूल की मां एलिजाबेथ बाल्मर मॉस्क्रिप के सात बच्चों में छठे थे। उनके पिता उद्योगपति और राजनेता थे, जो लंदन काउंटी काउंसिल और हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्य रहे।

क्वेकर परिवार की पृष्ठभूमि ने फिलिप को शांति, अहिंसा और सामाजिक न्याय के मूल्यों से परिचित कराया। उन्होंने यॉर्कशायर के एक्वर्थ स्कूल और यॉर्क के बूथम स्कूल में क्वेकर शिक्षा प्राप्त की। 1906-07 में अमेरिका के हेवरफोर्ड कॉलेज गए, जहां उन्होंने फुटबॉल और एथलेटिक्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

इंग्लैंड लौटकर किंग्स कॉलेज, कैम्ब्रिज से इतिहास और अर्थशास्त्र में ऑनर्स प्राप्त किए। कैम्ब्रिज में वे डिबेटिंग सोसाइटी के अध्यक्ष बने और अंतरराष्ट्रीय कानून में व्हेवेल स्कॉलरशिप जीती। उन्होंने म्यूनिख और पेरिस विश्वविद्यालयों में भी अध्ययन किया और सात भाषाओं में पारंगत हो गए।

ओलंपिक सफर और रजत पदक

फिलिप एक मध्यम दूरी के धावक थे, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध से पहले और बाद में ग्रेट ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व किया।

  • 1912 स्टॉकहोम ओलंपिक: 800 मीटर और 1500 मीटर में भाग लिया, फाइनल में छठे स्थान पर रहे
  • 1920 एंटवर्प ओलंपिक: ब्रिटिश ट्रैक टीम के कप्तान और ध्वजवाहक। 1500 मीटर में सिल्वर मेडल (समय: 4:03.9 मिनट)
  • 1924 पेरिस ओलंपिक: कप्तान बने लेकिन खुद नहीं दौड़े

"युद्ध के बाद यह पहला ओलंपिक था और फिलिप ने टीमों के बीच सामाजिक मेलजोल आयोजित कर ओलंपिक विलेज की अवधारणा को बढ़ावा दिया।"

प्रथम विश्व युद्ध में मानवीय सेवा

प्रथम विश्व युद्ध में क्वेकर होने के कारण हथियारबंद सेवा से इनकार किया, लेकिन मानवीय कार्यों में सक्रिय रहे। उन्होंने फ्रेंड्स एम्बुलेंस यूनिट की स्थापना में मदद की और फ्रांस व इटली में रेड क्रॉस के साथ काम किया।

उनके साहस के लिए ब्रिटेन, फ्रांस और इटली से सम्मान मिले। 1915 में फील्ड हॉस्पिटल नर्स आइरीन नोएल से विवाह किया और 1921 में अपना उपनाम नोएल-बेकर कर लिया।

निरस्त्रीकरण और शांति आंदोलन

फिलिप का जीवन निरस्त्रीकरण का प्रतीक था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद हथियार उद्योग को युद्ध का मुख्य कारण मानते हुए 1907 के हेग शांति सम्मेलन में भाग लिया।

1919: पेरिस पीस कॉन्फ्रेंस में लीग ऑफ नेशंस के संविधान का मसौदा

1932-33: जेनेवा निरस्त्रीकरण सम्मेलन में सक्रिय

1945: सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में यूएन चार्टर का मसौदा

1959: नोबेल शांति पुरस्कार

राजनीतिक करियर

लेबर पार्टी के प्रमुख सदस्य थे। 1929-31 में कोवेंट्री से सांसद, 1936-50 में डर्बी से और 1950-70 में डर्बी साउथ से सांसद रहे।

पद

कार्यकाल

फॉरेन ऑफिस स्टेट मिनिस्टर

1945-1946

एयर सेक्रेटरी

1946-1947

कॉमनवेल्थ रिलेशंस सेक्रेटरी

1947-1950

नोबेल शांति पुरस्कार 1959

5 नवंबर 1959 को घोषित नोबेल शांति पुरस्कार 10 दिसंबर को ओस्लो में प्राप्त किया। समिति ने लीग और यूएन में उनके निरस्त्रीकरण कार्यों की सराहना की।

"आधुनिक हथियार 'भेड़ियों का झुंड' हैं जो मानवता को नष्ट कर सकते हैं।"

- फिलिप नोएल-बेकर, नोबेल लेक्चर

वे एकमात्र ओलंपियन हैं जिन्हें यह सम्मान मिला। पुरस्कार राशि शांति कार्यों में लगाई।

साहित्यिक योगदान और विरासत

फिलिप ने निरस्त्रीकरण पर कई पुस्तकें लिखीं:

  • Disarmament (1926)
  • The Arms Race (1958)
  • The Way to World Disarmament—Now! (1963)

उनकी पत्नी आइरीन की मृत्यु 1956 में हुई। 8 अक्टूबर 1982 को 92 वर्ष की आयु में लंदन में निधन हो गया। बूथम स्कूल को नोबेल मेडल दान किया।

"जब परमाणु फटा, चंद्रमा घेरा गया, रोग जीते गए, तो निरस्त्रीकरण इतना कठिन क्यों?"

उनकी विरासत शांति के माध्यम से वैश्विक एकता है।

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