Post by : Shivani Kumari
आज, 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को दोपहर 3:49 IST पर, दिवाली 2025 का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को रोशनी और खुशियों का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे त्याग और दर्द की एक अनसुनी कहानी भी है? SA News Himachal Pradesh के हालिया पोस्ट के अनुसार, संत रामपाल जी महाराज के सत्संग में दिवाली को पारंपरिक खुशियों से हटकर बलिदान और आत्मिक शांति का प्रतीक बताया गया है।
पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, और अयोध्यावासियों ने उनकी वापसी की खुशी में दीये जलाए। लेकिन सत्संग के अनुसार, राम का जीवन कष्टों से भरा था—वनवास, रावण से युद्ध, सीता का अपहरण, और रामराज्य में भी दुख। क्या यह त्योहार सच्चे अर्थ में त्याग का प्रतीक नहीं है? राम के जीवन का दर्द: वनवास और युद्ध की कठिनाइयाँ। सीता का त्याग: रामराज्य में भी अलगाव का गम। आध्यात्मिक संदेश: सत्संग में इसे आत्मा की मुक्ति का मार्ग बताया गया।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि आज की दिवाली सिर्फ आतिशबाजी और मिठाइयों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। दोपहर 3:49 IST पर इस लेख के समय, वे "नाम दीक्षा" को अपनाने की सलाह दे रहे हैं, जो सच्ची समृद्धि और शांति प्रदान करेगी। यह संदेश आज के पर्यावरणीय और आध्यात्मिक संदर्भ में बेहद प्रासंगिक है।
आज, 20 अक्टूबर 2025 को लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6:15 से 7:15 बजे तक रहेगा। यह समय पूजा, ध्यान, और स्टॉक मार्केट की मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए शुभ माना जाता है। अभी से तैयारी शुरू करें और इस पावन समय का लाभ उठाएं।
दिवाली पर आतिशबाजी से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जो आज स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है। शोर 100-140 डेसिबल तक पहुंचता है, जबकि सुरक्षित सीमा 75 डेसिबल है। आज मिट्टी के दीये और हरित पटाखों का उपयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहतर विकल्प है। सत्संग इस जागरूकता को बढ़ावा देता है।
- घर की सजावट:रंगोली, फूल, और दीये से घर को सजाएं।
- पूजा विधि: लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए शुद्धता और श्रद्धा रखें।
- आधुनिक बदलाव:LED लाइट्स से प्रदूषण कम करें।
- पर्यावरण संरक्षण: प्लास्टिक की बजाय मिट्टी के दीये जलाएं।
- स्वास्थ्य: आतिशबाजी से बचें, बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान रखें।
- आध्यात्मिकता:आज सत्संग सुनकर आत्मिक शांति पाएं।
दिवाली 2025 आज सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि त्याग और भक्ति का प्रतीक है। संत रामपाल जी महाराज के सत्संग से प्रेरणा लें और सच्ची खुशी की खोज करें। दोपहर 3:49 IST पर इस लेख के साथ, हम आपको आमंत्रित करते हैं कि आज का दिन रोशनी के साथ आत्मा को भी प्रकाशित करें।
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