Post by : Shivani Kumari
अफगानिस्तान एक बार फिर भूकंप के झटकों से हिल गया। रविवार सुबह देश के मध्य और उत्तरी हिस्सों में 4.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। रिक्टर पैमाने पर दर्ज इस भूकंप का केंद्र सतह के काफी पास था, जिसके कारण कई इलाकों में हल्के झटके महसूस किए गए। हालांकि, राहत की बात यह रही कि किसी बड़ी क्षति या जनहानि की खबर नहीं मिली है।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, यह भूकंप अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला के पास आया। इसका केंद्र जमीन से लगभग 10 किलोमीटर की गहराई पर था। यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से अत्यंत सक्रिय माना जाता है, जहाँ यूरेशियन और इंडियन टेक्टोनिक प्लेटों की टकराहट के कारण अक्सर भूकंप आते रहते हैं।
स्थानीय समयानुसार सुबह लगभग 7:45 बजे झटके महसूस किए गए। राजधानी काबुल, बगलान, तखार और बदख्शां प्रांतों में लोगों ने अपने घरों से बाहर निकलकर खुले स्थानों में शरण ली। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर बताया कि झटके कुछ सेकंड तक महसूस हुए, लेकिन किसी इमारत को नुकसान नहीं हुआ।
अफगानिस्तान के आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि फिलहाल किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है। राहत और बचाव दलों को सतर्क कर दिया गया है और प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति की निगरानी की जा रही है। ग्रामीण इलाकों में संचार व्यवस्था कमजोर होने के कारण कुछ क्षेत्रों से जानकारी आने में समय लग सकता है।
स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी आपात स्थिति में स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करें।
अफगानिस्तान भूकंपीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है। यह देश यूरेशियन और इंडियन प्लेटों के संगम पर स्थित है, जहाँ प्लेटों की निरंतर हलचल के कारण भूकंप आते रहते हैं। हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला के आसपास का इलाका विशेष रूप से सक्रिय है।
पिछले कुछ वर्षों में अफगानिस्तान ने कई विनाशकारी भूकंपों का सामना किया है। जून 2022 में आए 6.1 तीव्रता के भूकंप में पूर्वी प्रांत पक्तिका में 1000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा, अक्टूबर 2023 में हेरात प्रांत में आए 6.3 तीव्रता के भूकंप ने सैकड़ों घरों को नष्ट कर दिया था।
भूकंप पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण आते हैं। जब ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं या खिसकती हैं, तो ऊर्जा का संचय होता है। यह ऊर्जा जब अचानक मुक्त होती है, तो भूकंप के रूप में झटके महसूस होते हैं।
अफगानिस्तान का भौगोलिक स्थान इसे भूकंप के लिए अत्यंत संवेदनशील बनाता है। यहाँ इंडियन प्लेट उत्तर की ओर बढ़ रही है और यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। इस टकराव से हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला बनी और यही क्षेत्र बार-बार भूकंप का केंद्र बनता है।
काबुल और आसपास के इलाकों में लोगों ने बताया कि झटके हल्के थे लेकिन स्पष्ट रूप से महसूस किए गए। कई लोग सुबह की नमाज़ के समय मस्जिदों में थे और झटके महसूस होते ही बाहर निकल आए। सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा कि यह भूकंप पिछले कुछ महीनों में महसूस किए गए झटकों में से एक था।
एक स्थानीय निवासी ने बताया, “हमने कुछ सेकंड तक झटके महसूस किए। घर की खिड़कियाँ हिलने लगीं, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ। हम तुरंत बाहर निकल आए।”
अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार ने आपदा प्रबंधन एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ भी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। ग्रामीण इलाकों में राहत दलों को भेजा गया है ताकि किसी भी संभावित नुकसान का आकलन किया जा सके।
सरकार ने नागरिकों को सलाह दी है कि वे अपने घरों की संरचना की जाँच करें और किसी भी दरार या क्षति की सूचना स्थानीय प्रशासन को दें।
भूकंप के समय घबराने के बजाय सतर्क रहना सबसे महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि झटके महसूस हों तो तुरंत खुले स्थान पर जाएँ, ऊँची इमारतों, बिजली के खंभों और पेड़ों से दूर रहें। यदि घर के अंदर हों तो किसी मजबूत मेज या टेबल के नीचे शरण लें और सिर को ढकें।
भूकंप के बाद गैस, बिजली और पानी की लाइनों की जाँच करें ताकि किसी प्रकार की लीकेज या आग लगने की संभावना न रहे।
पड़ोसी देशों पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और भारत में भी हल्के झटके महसूस किए गए। पाकिस्तान के पेशावर और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में लोगों ने बताया कि झटके कुछ सेकंड तक महसूस हुए। हालांकि, किसी नुकसान की खबर नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (OCHA) ने कहा कि अफगानिस्तान में लगातार भूकंपों की घटनाएँ देश की पहले से ही कमजोर बुनियादी संरचना के लिए चुनौती हैं।
अफगानिस्तान में भूकंप से निपटने के लिए जागरूकता और तैयारी की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में बने मिट्टी के घर भूकंप के दौरान सबसे अधिक क्षतिग्रस्त होते हैं। इसलिए, भूकंप-रोधी निर्माण तकनीकों को अपनाना जरूरी है।
सरकार और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को मिलकर ऐसे कार्यक्रम चलाने चाहिए जो लोगों को भूकंप के समय सही कदम उठाने की जानकारी दें। स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर नियमित ड्रिल आयोजित की जानी चाहिए।
हालांकि इस बार का भूकंप हल्का था, लेकिन अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है। बार-बार आने वाले भूकंपों से बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुँचता है, जिससे पुनर्निर्माण पर भारी खर्च होता है।
कृषि और पशुपालन पर निर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था भूकंप के बाद सबसे अधिक प्रभावित होती है। कई बार जल स्रोत और सिंचाई प्रणाली भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
अफगानिस्तान में आया 4.1 तीव्रता का भूकंप भले ही हल्का था, लेकिन यह एक बार फिर याद दिलाता है कि यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से कितना संवेदनशील है। सरकार और नागरिकों को मिलकर भूकंप से निपटने की तैयारी करनी होगी। जागरूकता, मजबूत निर्माण और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली ही भविष्य में होने वाले बड़े नुकसान को रोक सकती है।
यह भूकंप अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला के पास आया। इसका केंद्र जमीन से लगभग 10 किलोमीटर की गहराई पर था।
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, किसी बड़ी क्षति या जनहानि की सूचना नहीं है। कुछ इलाकों में हल्के झटके महसूस किए गए।
अफगानिस्तान यूरेशियन और इंडियन टेक्टोनिक प्लेटों के संगम पर स्थित है। इन प्लेटों की टकराहट से ऊर्जा निकलती है, जिससे भूकंप आते हैं।
हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला, हेरात, पक्तिका और बदख्शां प्रांत भूकंप के लिए सबसे अधिक संवेदनशील माने जाते हैं।
भूकंप के समय खुले स्थान पर जाएँ, ऊँची इमारतों से दूर रहें, और किसी मजबूत वस्तु के नीचे शरण लें। गैस और बिजली की लाइनों की जाँच करें।
हाँ, पाकिस्तान और ताजिकिस्तान के कुछ इलाकों में भी हल्के झटके महसूस किए गए, लेकिन किसी नुकसान की खबर नहीं है।
सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ राहत कार्यों की निगरानी कर रही हैं। भूकंप-रोधी निर्माण और जागरूकता कार्यक्रमों पर भी काम चल रहा है।
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