Post by : Shivani Kumari
भारत के महान प्रेरणास्रोत: आचार्यजी और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
भारत के इतिहास में अनेक ऐसे महान व्यक्तित्व हुए हैं जिन्होंने अपने विचारों, कर्मों और त्याग से समाज को नई दिशा दी। उन्हीं में से दो अत्यंत प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं — आचार्यजी और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम।
आचार्यजी ने अध्यात्म, सेवा और संस्कार के माध्यम से लोगों के जीवन में प्रकाश फैलाया, जबकि डॉ. कलाम ने विज्ञान, शिक्षा और राष्ट्रप्रेम के द्वारा युवाओं को नई ऊँचाइयों तक पहुँचने की प्रेरणा दी।
दोनों का जीवन यह सिद्ध करता है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो, मन में ईमानदारी और परिश्रम हो, तथा हृदय में सेवा की भावना हो — तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं रहती।
आचार्यजी का जन्म एक सरल, धार्मिक और संस्कारी परिवार में हुआ। उनके पिता पुरोहित थे और माता धार्मिक प्रवृत्ति वाली महिला थीं। बचपन से ही उन्होंने वेद, उपनिषद, और भगवद्गीता का अध्ययन आरम्भ कर दिया था। माता-पिता और गुरुओं के स्नेहपूर्ण मार्गदर्शन ने उनके आध्यात्मिक, नैतिक और चरित्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आचार्यजी ने अद्वैत वेदांत, योग और भक्ति मार्ग का गहन अध्ययन किया। वे मानते थे कि ईश्वर हमारे भीतर ही विद्यमान हैं, और उन्हें केवल मंदिरों या पूजास्थलों में नहीं, बल्कि हर कर्म, सेवा और सद्भावना में अनुभव किया जा सकता है।
उनकी साधना और प्रवचन लोगों में आत्मबल, संयम और शांति का संचार करते हैं।
गौरी गोपाल आश्रम
आचार्यजी द्वारा स्थापित गौरी गोपाल आश्रम समाजसेवा, शिक्षा और संस्कारों का केन्द्र है। यहाँ वृद्धजनों की सेवा, बाल शिक्षा, और पशु कल्याण के कार्यक्रम संचालित होते हैं। आश्रम में प्रत्येक व्यक्ति को नि:स्वार्थ सेवा और मानवता के आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा दी जाती है।
भोजन एवं स्वास्थ्य सहायता
आश्रम के कार्यों में भोजन वितरण, निःशुल्क चिकित्सा शिविर, और स्वास्थ्य जागरूकता अभियान प्रमुख हैं। इन प्रयासों से गरीब, असहाय और जरूरतमंद लोगों को राहत और सम्मानजनक जीवन प्राप्त हो रहा है।
आचार्यजी की शिक्षाएँ जीवन के चार मूल स्तंभों पर आधारित हैं —
आत्म-चिंतन – स्वयं को जानना और सुधारना।
सेवा-भाव – निःस्वार्थ भाव से समाज के लिए कार्य करना।
नैतिकता – सत्य, ईमानदारी और करुणा का पालन करना।
सकारात्मक दृष्टिकोण – हर परिस्थिति में उत्साह और संतुलन बनाए रखना।
उनके अनुयायी इन सिद्धांतों को अपनाकर जीवन में मानसिक शांति, आत्मबल और सफलता प्राप्त कर रहे हैं।
आचार्यजी ने ग्राम शिक्षा अभियान चलाकर सैकड़ों बच्चों को शिक्षा से जोड़ा।
उन्होंने वृद्धजनों और असहायों की सेवा को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाया।
उन्होंने युवाओं को सही दिशा दिखाकर उनके जीवन में आत्मविश्वास और सफलता की भावना जगाई।
डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम्, तमिलनाडु में हुआ। उनके पिता नौकायन का कार्य करते थे और माता गृहिणी थीं।
आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने बचपन से ही परिश्रम और अनुशासन को अपनाया। उन्होंने मद्रास प्रौद्योगिकी संस्थान से वैमानिकी अभियंत्रण में उपाधि प्राप्त की और आगे चलकर भारत के महान वैज्ञानिक बने।
डॉ. कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वे “भारत के मिसाइल पुरुष” के रूप में प्रसिद्ध हुए।
उनके नेतृत्व में विकसित अग्नि और पृथ्वी जैसी प्रक्षेपास्त्र परियोजनाएँ भारत की सुरक्षा क्षमता के लिए मील का पत्थर साबित हुईं।
वर्ष 2002 से 2007 तक वे भारत के राष्ट्रपति रहे।
उनकी सादगी, विनम्रता और राष्ट्रप्रेम ने उन्हें “जनता के राष्ट्रपति” की उपाधि दिलाई।
उन्होंने “भारत 2020” का स्वप्न देखा — एक ऐसा भारत जो आत्मनिर्भर, शिक्षित और विकसित हो।
वे निरंतर विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और सम्मेलनों में जाकर युवाओं को प्रेरित करते रहे।
डॉ. कलाम मानते थे —
“सपने वो नहीं जो हम नींद में देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।”
उनका संदेश था —
“स्वप्न देखो, रचना करो और उसे साकार करो।”
वे हर व्यक्ति को यह प्रेरणा देते थे कि बड़ा सोचो, कठिन परिश्रम करो और सदैव विनम्र बने रहो।
डॉ. कलाम ने विद्यालयों में विज्ञान क्लब की स्थापना कर विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित किया।
उन्होंने गरीब और ग्रामीण विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा और मार्गदर्शन दिया।
उन्होंने युवाओं में देशभक्ति और आत्मनिर्भरता की भावना को मजबूत किया।
27 जुलाई 2015 को वे विद्यार्थियों को संबोधित करते समय ही स्वर्गवासी हुए — उनका यह अंतिम क्षण भी शिक्षा और सेवा का प्रतीक बना।
आचार्यजी और डॉ. कलाम दोनों भिन्न क्षेत्रों — आध्यात्म और विज्ञान — में कार्यरत थे, परंतु उनका जीवन उद्देश्य एक ही था — समाज और राष्ट्र का उत्थान।
आचार्यजी ने सेवा, सद्भाव और संस्कारों से समाज को जागृत किया, जबकि डॉ. कलाम ने शिक्षा, विज्ञान और नवाचार से राष्ट्र को सशक्त बनाया।
दोनों का जीवन यह सिखाता है कि —
“परिश्रम, समर्पण और निःस्वार्थ सेवा से कोई भी कार्य असंभव नहीं होता।”
आचार्यजी और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन संदेश देता है कि —
“चाहे मार्ग अध्यात्म का हो या विज्ञान का, यदि उद्देश्य मानवता और सेवा है, तो वही पथ सच्चा और सफल होता है।”
इन दोनों महान आत्माओं की शिक्षाएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा बनकर रहेंगी।
उनका जीवन यह प्रमाण है कि सच्चा नेतृत्व पद या शक्ति से नहीं, बल्कि प्रेरणा और सेवा से उत्पन्न होता है।
भारत सदैव इन दोनों महान विभूतियों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करता रहेगा।
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