Post by : Shivani Kumari
भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के नतीजे घोषित कर दिए हैं और यह कंपनी के लिए एक और मजबूत तिमाही साबित हुई है। समेकित आधार पर शुद्ध मुनाफा 31 प्रतिशत की छलांग लगाते हुए ₹10,098.48 करोड़ तक पहुंच गया है जो पिछले साल की समान तिमाही में ₹7,728.68 करोड़ था। यह वृद्धि न केवल साल दर साल बल्कि कंपनी की परिचालन दक्षता और बाजार में मजबूत पकड़ को भी दर्शाती है। हालांकि तिमाही दर तिमाही आधार पर मुनाफा 7.8 प्रतिशत घटकर ₹10,957.05 करोड़ से नीचे आया है लेकिन पहले छमाही के कुल मुनाफे में 16.36 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जो ₹21,040 करोड़ तक पहुंच गया। यह आंकड़े एलआईसी की दीर्घकालिक स्थिरता और निवेशकों के भरोसे को मजबूत करते हैं।
एलआईसी की नेट प्रीमियम आय इस तिमाही में ₹1,26,930.04 करोड़ रही जो सालाना आधार पर 5.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। पिछले साल यह आंकड़ा ₹1,20,326 करोड़ था। तिमाही दर तिमाही आधार पर भी 6.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। पहले छमाही में कुल प्रीमियम संग्रह 5.14 प्रतिशत बढ़कर ₹2,45,680 करोड़ हो गया। यह वृद्धि भारतीय परिवारों में बीमा जागरूकता के बढ़ने और सरकारी योजनाओं के सकारात्मक प्रभाव को स्पष्ट रूप से दिखाती है। नई व्यवसाय मूल्य में 12.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जो ₹5,111 करोड़ तक पहुंच गई जबकि मार्जिन 17.6 प्रतिशत पर स्थिर रहा। व्यक्तिगत पॉलिसी के लिए नॉन-पार एनुअल प्रीमियम इक्विवेलेंट का हिस्सा 36.31 प्रतिशत हो गया जो पिछले साल के 26.31 प्रतिशत से काफी बेहतर है।
बैंकासुरेंस और वैकल्पिक चैनलों का योगदान इस सफलता में अहम रहा है। व्यक्तिगत नई व्यवसाय प्रीमियम में इन चैनलों का हिस्सा 67.6 प्रतिशत तक पहुंच गया है। खर्च अनुपात में 146 आधार अंकों की कमी आई है और यह 11.28 प्रतिशत पर आ गया जो परिचालन दक्षता में सुधार का संकेत है। संपत्तियों का प्रबंधन 30 सितंबर 2025 तक ₹57,22,896 करोड़ हो गया जो सालाना आधार पर 3.31 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। आय प्रति शेयर बेसिक और डिल्यूटेड दोनों ₹15.97 रही। एलआईसी का सॉल्वेंसी अनुपात 2.13 पर मजबूत बना हुआ है जो नियामकीय न्यूनतम से कहीं ऊपर है।
एलआईसी की इस तिमाही की सफलता के पीछे उत्पाद विविधीकरण और वितरण चैनलों का विस्तार मुख्य कारण हैं। कंपनी ने नॉन-पार उत्पादों पर विशेष जोर दिया है जो उच्च मार्जिन प्रदान करते हैं। बैंकासुरेंस चैनल ने नई व्यवसाय में 67.6 प्रतिशत का योगदान दिया जो पारंपरिक एजेंट आधारित बिक्री से हटकर एक सकारात्मक बदलाव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म और कॉर्पोरेट टाई-अप्स जैसे वैकल्पिक चैनलों ने भी प्रीमियम संग्रह को बढ़ावा दिया है। लागत प्रबंधन में सुधार से खर्च अनुपात कम हुआ है जो बड़े पैमाने पर बीमा कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। निवेश आय में स्थिरता बनी हुई है जो बाजार अस्थिरता के बावजूद कंपनी की जोखिम प्रबंधन रणनीति को दर्शाती है।
भारतीय जीवन बीमा बाजार तेजी से बढ़ रहा है जहां बीमा घनत्व और प्रवेश दर में सुधार हो रहा है। आईआरडीएआई के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025 में कुल प्रीमियम आय 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ी थी और वित्तीय वर्ष 2026 में यह ट्रेंड जारी रहने की संभावना है। एलआईसी इस बाजार का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा नियंत्रित करती है और इस तिमाही के परिणाम बाजार की इस गतिशीलता को प्रतिबिंबित करते हैं। कंपनी की सफलता सरकारी पहलों जैसे प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और डिजिटल बीमा वितरण से जुड़ी हुई है। एलआईसी ने हाल ही में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नई पॉलिसी लॉन्च की हैं जो युवा ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में एजेंट नेटवर्क का विस्तार प्रीमियम संग्रह को बढ़ावा दे रहा है।
हालांकि बाजार में निजी खिलाड़ियों जैसे एचडीएफसी लाइफ और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की बढ़ती हिस्सेदारी एलआईसी के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा कर रही है लेकिन कंपनी की स्केल और ब्रांड वैल्यू इसे मजबूत बनाए रखती है। कंपनी दूसरी छमाही में उत्पादन मांग में वृद्धि की अपेक्षा कर रही है। जीएसटी छूट और बेहतर उत्पाद मिश्रण ने इस विकास को प्रेरित किया है। सीईओ ने दूसरी छमाही में मजबूत मांग की उम्मीद जताई है। यह रणनीतिक बदलाव एलआईसी को निजी बीमा कंपनियों से आगे रखने में मदद कर रहे हैं।
एलआईसी की स्थापना 1956 में हुई थी जब निजी बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया। तब से यह भारत के करोड़ों परिवारों की वित्तीय सुरक्षा का प्रतीक बनी हुई है। आज यह 1.4 अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति वाली कंपनी है। वित्तीय वर्ष 2024 में प्रीमियम आय में 10 प्रतिशत वृद्धि हुई थी और वित्तीय वर्ष 2025 में यह 12 प्रतिशत रही। वर्तमान तिमाही इस ट्रेंड को मजबूत करती है। कंपनी ने आईपीओ के माध्यम से बाजार में प्रवेश किया जिससे सार्वजनिक भागीदारी बढ़ी।
निवेशकों के लिए एलआईसी एक आकर्षक विकल्प है। इसका शेयर मूल्य क्यू2 परिणामों के बाद 5 प्रतिशत चढ़ा। डिविडेंड यील्ड 1.2 प्रतिशत है और पी/ई अनुपात 15 के आसपास है। लंबी अवधि में बीमा क्षेत्र की 15 प्रतिशत सीएजीआर वृद्धि से लाभ होगा। हालांकि नियामकीय परिवर्तन और बाजार अस्थिरता जैसे जोखिम पर नजर रखनी चाहिए लेकिन एलआईसी की मजबूत बैलेंस शीट इसे सुरक्षित निवेश बनाती है।
एलआईसी न केवल लाभ कमाती है बल्कि सामाजिक कल्याण में योगदान देती है। कंपनी ने ग्रामीण क्षेत्रों में 50,000 से अधिक एजेंट नियुक्त किए हैं जो वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हैं। कोविड-19 के दौरान क्लेम सेटलमेंट में 99 प्रतिशत की दर बरकरार रखी। क्यू2 में लाभों का भुगतान 8.9 प्रतिशत बढ़कर ₹1,06,250 करोड़ हो गया जो पॉलिसीधारकों के विश्वास को दर्शाता है।
वैश्विक स्तर पर एलआईसी की वृद्धि एशियाई बीमा बाजारों से मेल खाती है। चीन की पिंग एन और जापान की निप्पॉन लाइफ की तुलना में एलआईसी का बाजार हिस्सा अधिक है। हालांकि डिजिटल अपनाने में सुधार की गुंजाइश है। आईआरडीएआई के दिशानिर्देशों के तहत बीमा कंपनियों को साइबर सिक्योरिटी पर फोकस करना होगा जहां एलआईसी अग्रणी है।
एलआईसी की प्रबंधन टीम आशावादी है। सीईओ ने कहा है कि बेहतर उत्पाद मिश्रण और जीएसटी में कमी से दूसरी छमाही में मजबूत विकास होगा। कंपनी डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर निवेश कर रही है जिसमें एआई आधारित क्लेम प्रोसेसिंग और पर्सनलाइज्ड पॉलिसी सिफारिशें शामिल हैं। सस्टेनेबल निवेश पर फोकस से एयूएम वृद्धि बनी रहेगी। विश्लेषकों का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2026 के अंत तक एलआईसी का मुनाफा 20-25 प्रतिशत बढ़ सकता है बशर्ते आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत से ऊपर रहे।
यह परिणाम भारतीय बीमा क्षेत्र की लचीलापन को रेखांकित करता है। 31 प्रतिशत मुनाफा वृद्धि और 5.5 प्रतिशत प्रीमियम बढ़ोतरी से कंपनी की मजबूती साफ है। भविष्य में डिजिटल और विविधीकरण रणनीतियां इसे और मजबूत करेंगी। एलआईसी के शेयरधारकों और ग्राहकों के लिए यह सकारात्मक संकेत है।
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