Post by : Shivani Kumari
बीते कुछ महीनों में सोने और चांदी की बढ़ती कीमतों ने आम लोगों को काफी परेशान किया था। लेकिन अब त्योहारी सीजन के बाद इनमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे बाज़ार और निवेशकों को राहत मिली है। सिर्फ 13 दिनों में ही सोना 10,246 रुपये सस्ता हो गया है और चांदी में भी 25,675 रुपये की गिरावट आई है। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, 29 अक्टूबर और 30 नवंबर के बीच सोने व चांदी की कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई है।
गुरुवार, 30 नवंबर को 10 ग्राम सोने की कीमत 1,375 रुपये घटकर 1,19,253 रुपये रह गई, जबकि चांदी भी 1,033 रुपये सस्ती होकर 1,45,600 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। इससे पहले 17 अक्टूबर को सोना 1,30,874 रुपये और चांदी 1,71,275 रुपये के अपने ऑल टाइम हाई स्तर पर पहुंच गई थी। महज 13 दिनों में सोना 10,246 रुपये और चांदी 25,675 रुपये सस्ती हो चुकी है। इस गिरावट का मुख्य कारण त्योहारी मांग का कम होना, मुनाफावसूली और ग्लोबल टेंशन का कम होना बताया जा रहा है।
धनतेरस और दिवाली जैसे बड़े त्योहारों के बाद सोने-चांदी की मांग में सामान्य रूप से गिरावट आती है। खरीदारी धीमी पड़ने से डीलर्स ने बिकवाली का रुख अपनाया, जिससे कीमतें कम हुईं। टेक्निकल इंडिकेटर्स जैसे रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) ने दिखाया कि बाजार ओवरबॉट हो गया था, इसलिए निवेशकों ने मुनाफावसूली की। साथ ही, वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव में कमी और डॉलर की मजबूती से भी सोने की मांग कम हुई।
वैसे तो इस वर्ष जनवरी से नवंबर के बीच सोने की कीमत में 43,091 रुपये और चांदी में 59,583 रुपये की बढ़ोतरी भी देखी गई थी। 31 दिसंबर, 2024 को 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 76,162 रुपये थी, जो अब 1,19,253 रुपये तक पहुंच गई। यही रुझान चांदी के मामले में भी रहा और चांदी एक किलोग्राम 86,017 रुपये से बढ़कर 1,45,600 रुपये तक पहुंच गई थी।
सोने की खरीदारी के समय भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) हॉलमार्क वाला ही सोना लेना चाहिए। यह नंबर दर्शाता है कि सोना कितना शुद्ध है। कीमतों की पुष्टि करने के लिए इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) जैसी वेबसाइट पर हर दिन रेट ज़रूर देखें।
भारतीय निवेशकों के लिए सोना एक बड़ा सुरक्षित निवेश माना जाता है, खासकर आर्थिक संकट या वैश्विक अनिश्चितता के समय में। यही कारण है कि सोने की कीमत में जब बड़ी गिरावट आती है, तो इसे खरीदने का उपयुक्त समय माना जाता है। हालांकि, लंबे समय में निवेश करते समय रिटर्न के ट्रेंड और ग्लोबल फैक्टर्स की जानकारी रखना जरूरी है।
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, निकट भविष्य में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति, वैश्विक राजनीति, और अमेरिकी डॉलर के उतार-चढ़ाव से सोने-चांदी की कीमतों में फिर बदलाव संभव है। यदि वैश्विक तनाव या आर्थिक संकट बढ़ता है तो सोना फिर महंगा हो सकता है। अभी भारत के प्रमुख शहरों में सोने-चांदी के रेट एक जैसी घटत-बढ़त दिखा रहे हैं, लेकिन स्थानीय जीएसटी, लेबर चार्ज और ज्वैलरी डिज़ाइन के खर्च खरीददारों के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।
सोने-चांदी के व्यापारियों का कहना है कि अगले कुछ महीनों तक कीमतें स्थिर रह सकती हैं, लेकिन वैश्विक कारक और मांग फिर से कीमतों को प्रभावित करेंगे। त्योहारी सीजन में खरीददारी की वजह से कीमतें बहुत तेजी से बढ़ती हैं, जबकि उसके बाद मांग घटने से बाजार में गिरावट आती है।
निवेशक और ग्राहक दोनों को सलाह है कि सोने-चांदी की खरीदारी करते समय BIS हॉलमार्क जरूर जांचें, और अलग-अलग बाजारों में दामों की तुलना करें। वहीं, लंबी अवधि के निवेश से बेहतर रिटर्न मिल सकता है, लेकिन बाजार के रिस्क फैक्टरों को ध्यान में रखना जरूरी है।
अधिक जानकारी या ताज़ा अपडेट के लिए इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन, स्थानीय बुलियन मार्केट्स और प्रमुख आर्थिक समाचार स्रोतों पर नज़र रखें। केवल भरोसेमंद स्रोतों से ही दाम और शुद्धता की पुष्टि करें, ताकि आपके निवेश सुरक्षित रहें।
इस तेज गिरावट के बावजूद, भारतीय बाजार में सोना-चांदी निवेश और गहनों के लिए शुरुआती पसंद बना हुआ है। अगर आप जल्दी में निवेश करना चाहते हैं, तो कीमतों के स्थिर होते ही बाजार में वापस एंट्री लेना समझदारी होगी। फिलहाल, गिरावट ने खरीदारों के लिए अच्छे मौके खोले हैं। आने वाले महीनों में कीमतों के रुझान और प्रमुख आर्थिक बदलावों पर नजर रखना लाभदायक रहेगा।
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