Post by : Shivani Kumari
सोना, सदियों से संकट और अस्थिरता के समय निवेशकों के लिए सुरक्षित आश्रय माना जाता है। जब शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ते हैं, या वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता आती है, तब सोना आमतौर पर अपनी चमक लौटाता है। 2025 में, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में बड़े बदलावों ने सोने की कीमतों को ऐतिहासिक स्तर तक पहुँचा दिया है। इस समय, अमेरिका में चल रही सरकार की शटडाउन, वैश्विक राजनीतिक तनाव, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और डॉलर की कमजोरी ने गोल्ड मार्केट को नई ऊँचाई प्रदान की है।
2025 की शुरुआत से लेकर अक्टूबर माह तक, गोल्ड की कीमतें लगभग 53% बढ़ चुकी हैं। विशेष रूप से अक्टूबर में, स्पॉट गोल्ड $4,017 प्रति औंस और दिसंबर फ्यूचर्स $4,040 प्रति औंस तक पहुँच गए, जो अब तक का रिकॉर्ड स्तर है। यह तेजी सिर्फ आकस्मिक नहीं है; सोने की कीमतों में इस उछाल के पीछे कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारण हैं। हाल के डेटा के अनुसार, YTD (Year-To-Date) वृद्धि लगभग 53% है, जिससे सोना न सिर्फ एक सुरक्षित निवेश, बल्कि उच्च रिटर्न का विकल्प भी बन गया है।
स्पॉट गोल्ड: $4,017 प्रति औंस
दिसंबर फ्यूचर्स: $4,040 प्रति औंस
YTD वृद्धि: लगभग 53%
2025 में सोने के भावों ने ऐसे स्तर छुए हैं कि निवेशक, विशेष तौर पर भारत, चीन, यूरोप और अमेरिका में, सोने को फिर से प्राथमिकता देने लगे हैं। बाजार के जानकार मानते हैं कि यह उछाल आगे भी जारी रह सकती है, जब तक वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक दबाव बने रहें।
अमेरिका में सरकारी शटडाउन का सीधे तौर पर वैश्विक बाजारों पर मजबूत प्रभाव पड़ा है। शटडाउन के कारण अमेरिकी आर्थिक डेटा जारी नहीं हो पा रहा, जिससे निवेशकों में डर और अनिश्चितता बढ़ गई है। ऐसी स्थिति में निवेशक अधिक सुरक्षित संपत्तियों, जैसे सोना, की ओर आकर्षित होते हैं।
शटडाउन का नतीजा यह हुआ कि शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ी, डॉलर कमजोर हुआ और सोने में निवेश का रुझान तेज़ हो गया। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि शटडाउन लंबा खिंचता है, तो यह सोने की कीमतों को और ऊपर ले जा सकता है।
आर्थिक डेटा की कमी से निवेशक सावधान हुए।
जोखिम भरे निवेश से हटकर सुरक्षित संपत्तियों, विशेषकर सोने की ओर रुझान।
डॉलर की कमजोरी ने सोने की मांग को और बढ़ाया।
इस परिस्थिति में निवेशक न केवल सोना खरीद रहे हैं, बल्कि गोल्ड-आधारित ETF और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी निवेश बढ़ रहा है। भारतीय और एशियाई बाजारों में सोने की फिजिकल मांग भी बढ़ गई है।
2025 में केंद्रीय बैंकों का रोल सोने के बाजार में निर्णायक रहा। वैश्विक अस्थिरता के समय चीन, पोलैंड, तुर्की और भारत जैसे देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपने रिजर्व में सोना जोड़ने की गति तेज की है। यह ट्रेंड खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ये देश डॉलर के विकल्प के तौर पर सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
चीन, तुर्की, और पोलैंड ने Q1 और Q2 में रिकॉर्ड गोल्ड खरीदी दर्ज की।
रिजर्व में सोने की हिस्सेदारी लगातार बढ़ाई गई।
इस वैश्विक खरीदारी ने न सिर्फ सोने की मांग बढ़ाई, बल्कि इसकी कीमत को भी रिकॉर्ड स्तर तक पहुँचा दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि जबतक वैश्विक राजनीतिक तनाव और आर्थिक चुनौतियाँ बनी रहेंगी, केंद्रीय बैंक सोने को रणनीतिक रिजर्व के रूप में खरीदते रहेंगे।
अमेरिका का फेडरल रिजर्व ब्याज दर में कटौती की संभावना जता चुका है। पारंपरिक रूप से जब ब्याज दरें घटती हैं, तो सोना निवेश के लिए और अधिक आकर्षक बन जाता है, क्योंकि अन्य आय देने वाली संपत्तियों से रिटर्न कम हो जाता है। कम ब्याज दर के समय निवेशक सुरक्षित संपत्तियों जैसे गोल्ड की ओर शिफ्ट होते हैं, जिससे इसकी कीमतों में तेजी आती है।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर फेड की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की जाती है, तो गोल्ड मार्केट में फिर से एक नई तेजी देखने को मिलेगी।
कटौती की संभावना से गोल्ड में निवेश बढ़ा।
सुरक्षित संपत्ति के रूप में सोना निवेशकों को लुभाता रहा।
गोल्ड फ्यूचर्स और स्पॉट प्राइस में ऐतिहासिक तेजी।
2025 में वैश्विक स्तर पर अनेक राजनीतिक संकट उभरे हैं। यूरोप में फ्रांस, जर्मनी, और पूर्वी यूरोप में राजनीतिक अस्थिरता, एशिया में जापान और चीन के बीच तनाव, और सबसे प्रमुख गाजा व यूक्रेन में चल रहे युद्ध ने वैश्विक निवेशकों को सतर्क कर दिया है।
इसी के चलते, सुरक्षित और स्थिर निवेश के विकल्प — सोना और चांदी — को उच्च प्राथमिकता दी जा रही है। गाजा के संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध ने बाजारों को अस्थिर किया, जिससे सोने की मांग लगातार बढ़ती रही।
यूरोप और एशिया में राजनीतिक अस्थिरता।
युद्ध और संघर्ष ने निवेशकों को सतर्क बनाया।
गोल्ड और सिल्वर दोनों के भाव में तेजी।
इन हालातों में गोल्ड मार्केट इंडिया, गोल्ड रेट US, और यूरोप में सोने के रेट रिकॉर्ड स्तर छू रहे हैं।
डॉलर की कमजोरी — विशेष रूप से अमेरिका की शटडाउन और वैश्विक निवेशकों की सावधानी के कारण — ने सोने की कीमतों को तेजी से बढ़ाया है। जब डॉलर कमजोर होता है, तो सोना अन्य मुद्राओं में सस्ता पड़ता है, जिससे उसकी इंटरनेशनल डिमांड बढ़ जाती है।
2025 में डॉलर इंडेक्स में जो गिरावट आई है, उसने सोने की कीमतों को और ज्यादा ऊपर जाने के लिए मजबूर किया। इसके साथ ही अन्य करंसीज, जैसे युआन, यूरो, और जापानी येन, भी अस्थिर रहे हैं। नतीजतन, निवेशकों ने अपने पोर्टफोलियो को संतुलित करने के लिए गोल्ड जैसी संपत्ति का चयन किया।
केवल सोना ही नहीं, बल्कि चांदी में भी 2025 में जबरदस्त तेजी आई है। स्पॉट सिल्वर में लगभग 60% की बढ़ोतरी देखी गई है। चांदी की औद्योगिक मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, रिन्यूएबल एनर्जी, और मेडिकल उपकरणों में इसके उपयोग के चलते।
औद्योगिक मांग के बढ़ने से कीमत में तेजी।
निवेशकों ने सुरक्षित विकल्प के रूप में चांदी में रूचि बढ़ाई।
ग्लोबल मेटल मार्केट में सिल्वर का महत्व बढ़ा।
अब निवेशक सोना के साथ-साथ चांदी की भी खरीदारी कर रहे हैं, और 2025 में चांदी की डिमांड रिकॉर्ड स्तर पर रही।
2025 के तेजी वाले मार्केट में निवेशकों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। गोल्ड ETFs, SPDR Gold Shares (GLD), iShares Gold Trust (IAU) जैसे विकल्प गोल्ड में निवेश के लिए सुरक्षित और आसान चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं।
ETFs: पारदर्शी और आसान; कम शुल्क शुल्क पर निवेश।
फ्यूचर्स और ऑप्शंस: अनुभवी निवेशकों के लिए उपयुक्त।
भौतिक सोना: सिक्के, बार; लॉन्ग टर्म के लिए सुरक्षित।
डिजिटल गोल्ड निवेश: ऑनलाइन वॉलेट्स और ट्रस्ट प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करें।
गोल्ड में तेजी होते हुए उतार-चढ़ाव की संभावना भी बढ़ जाती है।
निवेश रणनीति और पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन पर ध्यान दें।
लॉन्ग टर्म में सोना हमेशा सुरक्षित विकल्प रहा है, लेकिन शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में जोखिम बढ़ जाता है।
आज की टेक-संचालित दुनिया में सोने में निवेश के कई नए आसान विकल्प उपलब्ध हैं।
गोल्ड ETFs: एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स, जो शेयर बाजार के माध्यम से खरीदे-बेचे जा सकते हैं।
फ्यूचर्स और ऑप्शन्स: पेशेवर और संस्थागत निवेशकों के लिए सक्रिय ट्रेडिंग का अवसर।
भौतिक सोना: सिक्के, बार, गहने खरीदना आज भी ट्रेंड में है, खासकर भारत में।
डिजिटल गोल्ड: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एंसिक्योर और पारदर्शी तरीके से निवेश; बैंकों और फिनटेक कंपनियों से मिलता है।
अगर कोई निवेशक बेहद सतर्क और लॉन्ग टर्म नजरिए से निवेश करना चाहता है, तो फिजिकल गोल्ड और डिजिटल गोल्ड दोनों बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं।
2025 में चीन, रूस, भारत समेत कई बड़े देशों ने अपने रिजर्व में सोने की हिस्सेदारी बढ़ाई है। इनमें से कुछ देश तो ट्रेड वॉर और आर्थिक प्रतिबंधों के चलते डॉलर से दूर रहने की नीति अपना रहे हैं।
मुद्रास्फीति, डॉलर में अस्थिरता के कारण सोने में निवेश तेज़ी।
निवेशकों ने अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित और स्थिर बनाने के लिए गोल्ड खरीद की।
चांदी भी इसी ट्रेंड में तेजी से आगे बढ़ी।
भारत में सोना पारंपरिक और शादी-ब्याह के सीजन में भी उच्चतम मांग पर रहा है, और इसके साथ ही चीन में सरकारी और निजी निवेश में भी वृद्धि दर्ज हुई है। गोल्ड मार्केट अपडेट के अनुसार, 2025 में चीन ने सोना खरीदी में पिछले साल के मुकाबले 40% से ज्यादा वृद्धि की है।
2025 में सोने की कीमतों in ऐतिहासिक उछाल का आधार केवल आर्थिक डेटा या ब्याज दर नहीं है। इसके पीछे अमेरिका की शटडाउन, वैश्विक राजनीतिक दबाव, डॉलर की कमजोरी, केंद्रीय बैंकों की तगड़ी खरीदारी और निवेशकों की बढ़ती सतर्कता जैसे कई कारण हैं। जहाँ एक ओर, यह समय निवेशकों के लिए नए अवसर प्रदान करता है, वहीं जोखिम भी उतना ही अधिक है।
सोने की कीमतों में रुझान आगे भी जारी रह सकता है, खासतौर पर यदि अमेरिकी प्रशासन की अनिश्चितता और वैश्विक राजनीतिक तनाव अगले कुछ महीनों तक बने रहते हैं। निवेशकों के लिए जरूरी है कि वे पूरी जानकारी और रणनीति के साथ बाजार का बुलिश ट्रेंड समझें, और अपने पोर्टफोलियो को सही तरीके से डाइवर्सिफाई करें। उच्चतम स्तर पर पहुँची सोने की कीमतें, निवेशकों को सतर्क लेकिन उत्साहित बना रही हैं।
नोट: उपरोक्त समाचार लंबे शोध, वर्तमान डेटा और वैश्विक रुझानों पर आधारित है; इसमें निवेश संबंधित सभी जानकारी आर्थिक समाचार स्रोत, बाजार विश्लेषण, और वित्तीय विशेषज्ञों के हालिया बयानों से ली गई है।2025 में सोने की कीमत $4,000 के पार: अमेरिका की शटडाउन और वैश्विक अनिश्चितता ने बढ़ाया निवेशकों का आकर्षण
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