Post by : Shivani Kumari
एक हिमालयी नगर में सिनेमा और संस्कृति की आत्मा को समेटे हुए 14वां धर्मशाला अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव (डीआईएफएफ 2025) 30 अक्टूबर से 2 नवम्बर 2025 तक आयोजित होगा। यह आयोजन तिब्बती बाल विद्यालय परिसर, अपर धर्मशाला में होगा, जहाँ चार दिनों तक स्वतंत्र सिनेमा की श्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ दिखाई जाएंगी। इस वर्ष का आयोजन न केवल भारतीय, बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वतंत्र फिल्मों के लिए एक सशक्त मंच के रूप में उभर रहा है ।
इस वर्ष का उद्घाटन फिल्मकार नीरज घायवान की फिल्म ‘होमबाउंड’ से होगा, जिसे भारत की ओर से 2026 के ऑस्कर पुरस्कारों के लिए चयनित किया गया है। यह फिल्म दो बचपन के मित्रों की कहानी कहती है, जो उत्तर भारत के एक गाँव से पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखते हैं। सामाजिक दबाव और महत्वाकांक्षा के संघर्ष में उनकी दोस्ती पर जो असर पड़ता है, वह इस कहानी का भावनात्मक केंद्र है ।
समापन फिल्म अनुपर्णा रॉय की ‘सॉन्ग्स ऑफ फॉरगॉटन ट्रीज़’ होगी, जिसे हाल ही में वेनिस फिल्म उत्सव में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिला है। यह फिल्म मुंबई की एक प्रवासी अभिनेत्री और कॉल सेंटर कर्मचारी के बीच संबंधों की सूक्ष्म परतों को दर्शाती है ।
डीआईएफएफ 2025 की रूपरेखा फिल्म प्रोग्राम निदेशक बीना पॉल के नेतृत्व में तैयार की गई है, जिसमें विश्वभर की विविध और साहसिक फिल्मों का चयन शामिल है। इनमें भूटान-नॉर्वे की ‘आई, द सॉन्ग’, रोहन परशुराम कनवाडे की ‘सब्बर बोंडा’, रिच पेप्पियाट की ‘नीकैप’, राउल पेक की ‘ऑरवेल 2+2=5’ और रूस-इटली की डॉक्यूमेंट्री ‘अंद्रेई तारकोव्स्की: ए सिनेमा प्रेयर’ प्रमुख हैं ।
इस वर्ष विशेष कार्यक्रमों में प्रसिद्ध निर्देशिका किरण राव के साथ संवाद सत्र और प्रसिद्ध अभिनेता आदिल हुसैन की अभिनय कार्यशाला भी शामिल होगी, जहाँ वे पात्रों में गहराई से उतरने की कला पर चर्चा करेंगे। अंद्रेई तारकोव्स्की के बेटे अंद्रेई ए. तारकोव्स्की भी इस बार उपस्थित रहेंगे और अपने पिता की सिनेमाई विरासत पर विचार साझा करेंगे ।
डीआईएफएफ 2025 ने सिडनी फिल्म फेस्टिवल के साथ सहयोग जारी रखा है, जिसके अंतर्गत दो ऑस्ट्रेलियाई फिल्मों – ‘लेस्बियन स्पेस प्रिंसेस’ और ‘द वूल्व्स ऑलवेज कम ऐट नाइट’ – का प्रदर्शन होगा। ‘द वूल्व्स...’ इस वर्ष ऑस्ट्रेलिया की आधिकारिक ऑस्कर प्रविष्टि भी है ।
उत्सव निर्देशक रितु सारिन और टेंजिंग सोनम कहते हैं, “हमने कभी यह लक्ष्य नहीं रखा था कि यह भारत का सबसे प्रमुख स्वतंत्र फिल्म उत्सव बने। हमने केवल इतना चाहा था कि अर्थपूर्ण सिनेमा को हिमालय में एक घर मिले।” यही भावना इस आयोजन की आत्मा बन चुकी है ।
यह उत्सव सिर्फ फिल्मों का नहीं, बल्कि संवाद, विचार और संस्कृति का ऐसा संगम है जहाँ कलाकार, दर्शक और सृजनशीलता एक ही मंच पर मिलते हैं। धर्मशाला की पहाड़ियों में फैली हवा में हर वर्ष सिनेमा का यह उत्सव एक विश्वसनीय संदेश छोड़ जाता है — कि कला, भाषा और सीमाओं से परे, मनुष्यता का सबसे सशक्त माध्यम है ।
        सरकाघाट का चंद्र बना इलाक़े का ‘बुलडोज़र बेटा’, अपने खर्चे स...
सरकाघाट क्षेत्र के चंद्र शर्मा ने अपने खर्चे से मशीनें लगाकर दो महीनों में 30 संपर्क सड़कों को बहाल
        एआई ने खोला 500 साल पुराना शिव स्तुति शिलालेख का रहस्य...
मंडी के त्रिलोकीनाथ मंदिर में एआई तकनीक से 500 वर्ष पुराने शिव स्तुति शिलालेख का रहस्य सुलझाया गया।
        कांगड़ा में हुआ 46वां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद प्रांत अध...
एबीवीपी के गुप्त गंगा परिसर में एबीवीपी के 46वें प्रांत के पुस्तकालय में पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुम
        जीएसटी सुधारों ने भारत में अक्टूबर में ऑटो बिक्री विक्रय रिक...
जीएसटी 2.0 सुधारों के कारण छोटे वाहनों की बिक्री 30% पाउंड में, अक्टूबर में सभी निर्माता रिकॉर्ड बिक
        भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों ने दिखाया नया रिकॉर्ड, त्योहारों क...
अक्टूबर में त्योहारों की मांग और GST कटौती से भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों की रिकॉर्ड बिक्री हुई।
गूगल ने पिक्सेल यूज़र्स के लिए अक्टूबर में दिया आखिरी मिनट स...
गूगल ने Pixel 7 से पिक्सेलl 10 तक अक्टूबर अंत में एक जरूरी सुरक्षा अपडेट जारी किया है, जिसमें पिक्
        इस सप्ताह सोना ₹748 गिरा, चांदी ₹2,092 बढ़ी, बाजार में उतार-...
इस सप्ताह सोने के दाम में ₹748 की गिरावट और चांदी के दाम में ₹2,092 की तेजी देखी गई, बाजार में उतार-