Post by : Shivani Kumari
हिमाचल प्रदेश, देवभूमि कहलाने वाला यह पर्वतीय राज्य, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ संस्कृति और परंपरा की समृद्ध धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के लोकनृत्य और पारंपरिक संगीत केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही लोकआस्था, प्रेम और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक हैं।
कुल्लू की नाटी, लाहौल-स्पीति का छम नृत्य, कांगड़ा का झमाकड़ा और सिरमौर का झूमर — ये सभी हिमाचल की पहचान बन चुके हैं। हर ताल और लय में हिमाचली जनजीवन की झलक देखने को मिलती है।
हिमाचल की लोकसंस्कृति की जड़ें हजारों वर्षों पुरानी हैं। यहाँ के समाज में लोकनृत्य और संगीत जीवन के हर अवसर से जुड़े रहे हैं — जन्म, विवाह, फसल कटाई, त्योहार, युद्ध और पूजा तक।
इन कलाओं के माध्यम से लोग न केवल खुशी और उत्सव मनाते थे, बल्कि सामाजिक संदेश और धार्मिक कथाएँ भी पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचाते रहे। आज भी हिमाचल का हर पर्व लोकगीतों और नाटी की थाप के बिना अधूरा है।
नाटी हिमाचल प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध लोकनृत्य है, जो कुल्लू, सिरमौर, मंडी, शिमला और किन्नौर जिलों में अत्यंत लोकप्रिय है। पुरुष और महिलाएँ एक घेरे में हाथ थामकर ताल पर झूमते हैं। यह सामूहिक एकता और उल्लास का प्रतीक है।
छम बौद्ध परंपरा से जुड़ा मुखौटा नृत्य है। कलाकार रंगीन पोशाक और मुखौटे पहनकर देवताओं और दुष्ट आत्माओं के संघर्ष को दर्शाते हैं। इसका उद्देश्य अच्छाई की बुराई पर विजय और करुणा का संदेश देना है।
कांगड़ा और हमीरपुर का यह नृत्य युवाओं की ऊर्जा, हास्य और सामाजिक व्यंग्य का प्रतीक है। इसमें शरीर की लचक और तालमेल प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
गिद्दा, बिलासपुर और ऊना में महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जो खुशी और पर्वों के अवसर पर होता है। झूमर सिरमौर और कांगड़ा में पुरुषों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है।
राखशस नृत्य में पौराणिक युद्धों का प्रदर्शन होता है, जबकि लाहौली नृत्य में पहाड़ी जीवन की कठिनाइयों और श्रम का चित्रण किया जाता है।
हिमाचल का संगीत उतना ही विविध है जितनी इसकी भाषाएँ और घाटियाँ। यहाँ के गीत — लमण, महासु, झूमर, रासा, स्वागटे — हर क्षेत्र की बोली और भावनाओं से जुड़े हैं।
मुख्य वाद्ययंत्र: ढोल, नगाड़ा, करनाल, शहनाई, नरसिंहा, बांसुरी, ढोलक। इनकी ध्वनि पर्वतीय वातावरण में गूंजती है और हर उत्सव का हृदय बन जाती है।
डॉ. रवीना ठाकुर (लोकसंस्कृति विशेषज्ञ, शिमला विश्वविद्यालय): “हिमाचल के पारंपरिक नृत्य और संगीत हमारी लोकसंस्कृति की धड़कन हैं। ये केवल कला नहीं, बल्कि जीवनशैली हैं।”
पंडित देवकी नंदन (लोकगायक, मंडी): “आज की पीढ़ी को चाहिए कि वह इन कलाओं को आधुनिकता के साथ जोड़कर जीवित रखे। हिमाचली संगीत में सादगी और गहराई दोनों हैं।”
नई पीढ़ी हिमाचली संस्कृति को पुनः अपनाने में गर्व महसूस कर रही है। स्कूलों, कॉलेजों और सोशल मीडिया मंचों पर लोकनृत्य प्रतियोगिताएँ और वीडियो इस परंपरा को आधुनिक पहचान दे रहे हैं।
हिमाचल के पारंपरिक नृत्य और संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन, संस्कृति और आस्था की आत्मा हैं। इनकी थाप में प्रकृति का प्रेम और देवभूमि की आध्यात्मिकता झलकती है। जब तक नाटी की ताल हिमालय की वादियों में गूंजती रहेगी, हिमाचल की पहचान सदा जीवित रहेगी।
किन्नौर में दर्दनाक हादसा, बोलेरो खाई में गिरी, एक की मौत...
किन्नौर के रूप्पी वैली में मझगांव–चौरा सड़क पर बोलेरो गहरी खाई में गिर गई। हादसे में एक व्यक्ति की म
कबड्डी खिलाड़ी राणा बलाचौरिया की हत्या, हिमाचल से था गहरा ना...
पंजाब के मोहाली में कबड्डी खिलाड़ी व प्रमोटर राणा बलाचौरिया की गोली मारकर हत्या कर दी गई। राणा का सं
सोलन में पचास हजार रिश्वत लेते फोरैस्ट गार्ड विजीलैंस के हत्...
सोलन जिले के नालागढ़ क्षेत्र में विजीलैंस ने फोरैस्ट गार्ड को पचास हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हा
पाकिस्तान में 5.2 तीव्रता का भूकंप, कराची तक महसूस हुए झटके...
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 5.2 तीव्रता का भूकंप आया। झटके कराची तक महसूस किए गए। फिलहाल जानमाल के न
हिमाचल में फिर शुरू होगी लॉटरी, तीन राज्यों का अध्ययन करेगी ...
हिमाचल प्रदेश में लॉटरी दोबारा शुरू करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। वित्त विभाग पंजाब, सिक्किम और के
हिमाचल में शीतलहर तेज, ऊपरी क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी के ...
हिमाचल प्रदेश में शीतलहर का असर बढ़ गया है। ऊपरी इलाकों में हल्की बारिश और बर्फबारी के आसार हैं, जिस
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला में रैगिंग मामला, दो सीनियर...
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला में जूनियर MBBS छात्र से रैगिंग का मामला सामने आया है। जांच के बाद