Post by : Khushi Joshi
हिमाचल प्रदेश आज विजय दिवस के अवसर पर अपने उन वीर सपूतों को नमन कर रहा है, जिन्होंने वर्ष एक हज़ार नौ सौ इकहत्तर के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए न केवल दुश्मन को पराजित किया, बल्कि इतिहास की धारा ही बदल दी। सोलह दिसंबर एक हज़ार नौ सौ इकहत्तर को भारतीय सेना की ऐतिहासिक विजय के साथ बांग्लादेश का जन्म हुआ और 93 हजार से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। यह दिन भारत के सैन्य गौरव का प्रतीक बन गया, जिसमें हिमाचल प्रदेश के वीर जवानों का योगदान अतुलनीय रहा।
तेरह दिनों तक चले इस निर्णायक युद्ध में हिमाचल प्रदेश के करीब दो सौ इकसठ जवानों ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। इनमें से अधिकांश वीर डोगरा रेजिमेंट से जुड़े थे और उनका संबंध कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, बिलासपुर और ऊना जिलों से रहा। इन जवानों ने पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर अद्वितीय शौर्य का प्रदर्शन किया और पाकिस्तानी सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। सरमानी की लड़ाई में तेरह डोगरा रेजिमेंट ने दुश्मन की मजबूत चौकियों को ध्वस्त कर निर्णायक बढ़त दिलाई, जिसे आज भी सैन्य इतिहास में साहस और रणनीति का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है।
कांगड़ा जिले के धर्मशाला में स्थित युद्ध स्मारक हिमाचल के इन शहीदों की गाथा को सहेजे हुए है। यहां बनी शहीद दीवारें एक हज़ार नौ सौ सैंतालीस-अड़तालीस, एक हज़ार नौ सौ बासठ, एक हज़ार नौ सौ पैंसठ और एक हज़ार नौ सौ इकहत्तर के युद्धों के साथ-साथ शांति अभियानों में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हैं। यह स्मारक आने वाली पीढ़ियों को बलिदान और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा देता है।
स्वतंत्रता के बाद से अब तक हिमाचल प्रदेश के करीब एक हज़ार सात सौसैनिक देश की रक्षा में शहीद हो चुके हैं। एक हज़ार नौ सौ इकहत्तर के युद्ध में डोगरा रेजिमेंट ने सरमानी, सुआदिह और चौद्धग्राम जैसे क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाई। मंडी जिले के सिपाही कृष्ण चंद और रायफलमैन नरोत्तम राम ने इस युद्ध में सर्वोच्च बलिदान दिया। सरमानी की लड़ाई में हवलदार सुखदेव सिंह, नायक रोशन लाल, सिपाही मनोहर लाल शर्मा और दूनी चंद जैसे अनेक वीर जवान शहीद हुए, जिनका संबंध कुल्लू, मंडी और कांगड़ा से था। इन सपूतों की शहादत आज भी प्रदेश के हर घर में गर्व के साथ याद की जाती है।
विजय दिवस के अवसर पर मंडी में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। एक्स-सर्विसमैन लीग मंडी के अनुसार 54वां विजय दिवस शहीद स्मारक, संकन गार्डन, इंदिरा मार्केट में मनाया जाएगा। इस अवसर पर पूर्व सैनिक, प्रशासनिक अधिकारी और आम नागरिक शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और उनके बलिदान को याद करेंगे।
विजय दिवस केवल एक सैन्य जीत की याद नहीं है, बल्कि यह उन वीरों की अमर गाथा है, जिन्होंने राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और सम्मान के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। हिमाचल प्रदेश को अपने उन दो सौ इकसठ वीर सपूतों पर गर्व है, जिनकी बदौलत एक हज़ार नौ सौ इकहत्तर का युद्ध भारत की निर्णायक जीत के रूप में इतिहास में दर्ज हुआ।
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