सीबीएसई को अलग टीचर कैडर पर विचार, हिमाचल का प्रदर्शन सराहनीय
सीबीएसई को अलग टीचर कैडर पर विचार, हिमाचल का प्रदर्शन सराहनीय

Post by : Shivani Kumari

Oct. 27, 2025 1:22 p.m. 169

शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश ने हाल के वर्षों में अनुकरणीय सुधार और नीति क्रियान्वयन किए हैं, जिनका असर पूरे राज्य और बोर्ड स्तर की गुणवत्ता पर सीधा पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप शिक्षण प्रशासन को आधुनिक बनाने के लिए अलग-अलग स्तरों पर कई परिवर्तन लागू किए हैं। इन परिवर्तनों में स्कूल कांप्लेक्स सिस्टम, समान प्रश्नपत्र नीति, डिजिटल होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड, सीबीएसई लेवल पुस्तकें, नई शिक्षक भर्ती व ट्रेनिंग प्रणाली, बैचलर ऑफ एजुकेशन इंटीग्रेटेड कोर्स और क्वालिटी एश्योरेंस फ्रेमवर्क जैसे बिंदुओं का समावेश है। राज्य सरकार की दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रत्येक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को अब एक नोडल-लीडर स्कूल बनाया गया है, जिसके अधीनकरीब सात से आठ प्राथमिक, मिडल और उच्च विद्यालयों को जोड़ा गया है। इन विद्यालयों में पढ़ाई, खेलकूद, संगीत, गतिविधियों, प्रयोगशाला और पुस्तकालय का संयुक्त उपयोग अब संभव बन गया है। इससे न केवल संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल हो रहा है, बल्कि प्रशासनिक दक्षता और स्कूली शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में बढ़ोतरी हुई है।

हिमाचल में स्कूल कांप्लेक्स के लागू होने पर प्राचार्य को सभी अधीनस्थ स्कूलों का निरीक्षण करने और स्टाफ की कमी, ट्रांसफर व विवेकपूर्ण नियुक्तियों की जिम्मेदारी दी गई है। ब्लॉक ऑफिसर फाइनेंस का संचालन करते हैं और सेंटर हेड टीचर प्राचार्य के नियंत्रण में रहते हैं। यह संरचना छोटे स्कूलों की समस्या, एकल शिक्षक स्कूल, सीमित छात्र संख्या और संसाधनों की दिक्कत को दूर करने का प्रयास करती है। राज्य के 850 से अधिक स्कूलों को एक्सीलेंस का दर्जा दिया गया है जो आधुनिक सब्जेक्ट्स, डिजिटल पढ़ाई और बहुआयामी को-करिकुलर एक्टिविटी की सुविधा देते हैं। राज्य सरकार की कोशिशों और नीति आयोग, शिक्षा बोर्ड तथा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अद्यतन प्रावधानों के मुताबिक स्कूलों में ग्रेडिंग सिस्टम, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम और स्कूली संसाधनों की साझा योजना लागू है।

हिमाचल में शिक्षा की गुणवत्ता सुधार हेतु कई प्रतियोगिताएं, डिजिटल एक्टीविटी, क्विज, ओलंपियाड, खेल और संस्कृति के कार्यक्रम होते हैं जिससे बच्चों की प्रतिभा के साथ उनकी सोच, सहयोग की भावना, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक जिम्मेदारी भी विकसित हो रही है। बोर्ड परीक्षाओं में सुधार के लिए कक्षा 10वीं व 12वीं में प्रश्न पत्रों के जंबलिंग सिस्टम के साथ-साथ 20% बहुविकल्पीय सवाल व ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन शीट्स को अनिवार्य किया गया है। प्रश्न बैंक, डिजिटल ट्रैकिंग कार्ड, और समग्र प्रगति कार्ड जैसी तकनीकें विद्यार्थियों के शिक्षण-अवधि के हर पहलू को पारदर्शी और मापनीय बनाती हैं।

राज्य के स्कूल बोर्ड ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषदपाठ्यक्रम, बैचलर ऑफ एजुकेशन का इंटीग्रेटेड कोर्स, सीबीएसई स्तर की किताबें और होलिस्टिक मूल्यांकन योजनाओं को लागू किया है। शिक्षक-प्रशिक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से लीडरशिप प्रोग्राम, सिविल स्किल्स डेवलपमेंट व आधुनिक परीक्षा प्रणाली संचालित की जा रही है। विद्यार्थियों के लिए डिजिटल रिपॉजिटरी, प्रश्न बैंक, ई-क्लासरूम जैसी सुविधाएं राज्य के अधिकांश स्कूलों में उपलब्ध हो गई हैं। बच्चों के लिए भलाई ऐप, मायंड हेल्थ सेमिनार, साइकोलॉजिकल काउंसलिंग और लाइफ स्किल प्रेक्टिस भी शुरू किया गया है, जिससे उनका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होता है। ग्रामीण-शहरी अंतर कम करने हेतु एक्सपोजर विजिट, नॉलेज एक्सचेंज प्रोग्राम, स्कूल-टू-स्कूल इंटरएक्शन, और पैरेंट्स मीटिंग्स की प्रक्रियाएँ बनाए रखी गई हैं।

महिला शिक्षकों और छात्राओं के लिए सेफ्टी अवेयरनेस प्रोग्राम्स, छात्राओं के लिए विशेष छात्रवृत्तियाँ, दिव्यांग विद्यार्थियों को शिक्षण-अनुकूल माहौल, और समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए भोजन, वर्दी, स्टेशनरी जैसी सुविधाएं राज्य सरकार उपलब्ध करा रही है। कई स्कूलों में ग्रीन क्लास, पर्यावरण संरक्षण, ईको क्लब, स्पोर्ट्स क्लब, इनोवेशन हब, विज्ञान व आर्ट्स प्रेक्टिकल लर्निंग के जरिए शिक्षण को प्रासंगिक और आधुनिक बनाया गया है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करते हुए विद्यालयों का एकीकृत प्रशासन, उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षक कैडर, पारदर्शी नियुक्ति नीति और नियमित आकलन-प्रशिक्षण का ढांचा बहुआयामी असर डाल रहा है। हिमाचल देश में पहला राज्य बन गया है जिसे स्कूल क्वालिटी असेसमेंट एंड एश्योरेंस फ्रेमवर्क (SQAAF) स्वीकृत मिला है। इसके आधार पर स्कूलों की वार्षिक ग्रेडिंग (A/B/C) होती है जिससे कमतर प्रदर्शन करने वाले स्कूलों की अलग से मॉनिटरिंग, संसाधनों की पूर्ति और नीति हस्तक्षेप समय रहते किया जा सकता है।

शिक्षा विभाग, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के अनुसार, हिमाचल प्रदेश छात्रों की अकादमिक, कौशल, भावनात्मक और सामाजिक वृद्धि को मापने के लिए अब डिजिटल प्लेटफॉर्म इस्तेमाल कर रहा है—जिससे बच्चों और शिक्षकों की प्रगति का साल-दर-साल ट्रैकिंग संभव है। स्कूली बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मैथ लैब, रोबोटिक्स, डिजिटल कॉम्पिटेंसी जैसे नए विषय एवं गतिविधियाँ दी जा रही हैं, जो उन्हें प्रतियोगी स्वरूप और त्वरित जीवन कौशल से जोड़ती हैं। समावेशी शिक्षा की अवधारणा को अपनाते हुए राज्य सभी जिलों में लिंग, क्षेत्र, लैंग्वेज बैरियर, डिजिटली डिवाइड जैसी समस्याओं का समाधान करने में आगे है। शिक्षा क्षेत्र में यह बदलाव राज्य की नई पहचान और भविष्य का एक मजबूत आधार बन रहे हैं।

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