2025 में वजन घटाने के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ
2025 में वजन घटाने के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ

Post by : Shivani Kumari

Oct. 19, 2025 12:02 p.m. 190

प्रस्तावना: आधुनिक जीवन और बढ़ता मोटापा

साल 2025 में मोटापा केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर तीसरा वयस्क व्यक्ति अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है। तेज़-तर्रार जीवनशैली, असंतुलित खानपान, मानसिक तनाव और शारीरिक निष्क्रियता ने शरीर के प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ दिया है।

ऐसे समय में लोग अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं — आयुर्वेद की ओर। आयुर्वेद केवल रोग का उपचार नहीं है, बल्कि जीवन जीने की सम्पूर्ण पद्धति है। यह शरीर, मन और आत्मा को संतुलित कर स्वास्थ्य को स्थायी बनाता है।

वजन घटाने की दृष्टि से आयुर्वेद केवल कैलोरी नियंत्रण नहीं बताता, बल्कि यह दोषों (वात, पित्त, कफ) का संतुलन, अग्नि (पाचन शक्ति) की मजबूती, और आम (विषाक्त पदार्थ) की सफाई पर ध्यान देता है।

मोटापे का आयुर्वेदिक कारण: स्थौल्य का गहराई से विश्लेषण

आयुर्वेद में मोटापे को “स्थौल्य” कहा गया है। चरक संहिता में बताया गया है कि जब कफ दोष शरीर में बढ़ता है, अग्नि कमजोर होती है, और आम शरीर में जमा होता है, तो वसा सही रूप से नहीं जल पाती।
धीरे-धीरे यह वसा जांघों, पेट, गर्दन और कमर में जम जाती है।

स्थौल्य के मुख्य कारण

  • अत्यधिक या बार-बार भोजन

  • मीठा, तला-भुना, और डेयरी उत्पादों का अधिक सेवन

  • कम शारीरिक श्रम या निष्क्रिय जीवनशैली

  • मानसिक तनाव, चिंता और नींद का असंतुलन

अधपचा भोजन “आम” में बदल जाता है, जो शरीर में फैलकर कफ दोष को बढ़ाता है।
यही कफ-अग्नि-अाम असंतुलन मोटापे की मूल जड़ है।

आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद का संगम

2025 में Nature Reviews और Journal of Integrative Medicine जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ने कई अध्ययन प्रकाशित किए हैं, जिनमें बताया गया है कि आंतों का स्वास्थ्य (gut health) और वजन नियंत्रण के बीच सीधा संबंध है।

आयुर्वेद हजारों वर्ष पहले ही यही कहता आया है —

“स्वस्थ पाचन ही स्वस्थ शरीर की नींव है।”

त्रिफला, गुग्गुल, वृक्षामला जैसी जड़ी-बूटियाँ आंतों की सफाई, अग्नि जागरण, और चयापचय सुधारने में अत्यंत प्रभावी पाई गई हैं।

आयुर्वेदिक वजन घटाने की नींव: दोषों का संतुलन

हर व्यक्ति का शरीर त्रिदोषों — वात, पित्त, कफ — के संयोजन से बना है।
मोटापा तब बढ़ता है जब कफ दोष असंतुलित हो जाता है।

दोष प्रकार और वजन

  • वात प्रकार: वजन कम रखना आसान, पर थकावट अधिक

  • पित्त प्रकार: संतुलित मेटाबॉलिज़्म, पर अत्यधिक मसाले से असंतुलन

  • कफ प्रकार: वजन बढ़ना आसान, मेटाबॉलिज़्म धीमा

वजन घटाने के लिए ज़रूरी है कि कफ दोष को शांत किया जाए, और इसके लिए “लघु” (हल्का), “उष्ण” (गर्म), और “तिक्त” (कड़वा) गुणों वाले आहार व औषधियाँ अपनाई जाती हैं।

अग्नि और आम: वजन घटाने के दो स्तंभ

आयुर्वेद कहता है —

“अग्नि सर्वेषां रोगाणां निदानम्।”
अर्थात सभी रोगों की जड़ अग्नि का असंतुलन है।

यदि पाचन अग्नि मजबूत है, तो शरीर में जमा वसा धीरे-धीरे जलने लगती है।
कमजोर अग्नि के कारण अधपचा भोजन “आम” बनकर मोटापा बढ़ाता है।

आयुर्वेदिक उपाय

  1. अग्नि प्रज्वलन: अदरक, जीरा, काली मिर्च, हिंग, चित्रक

  2. आम निष्कासन: त्रिफला, नीम, कटुका, मुस्तक

  3. कफ शमन: गुग्गुल, वृक्षामला, अग्निमंथ

शीर्ष 10 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ

  1. वृक्षामला (गर्सिनिया इंडिका) – भूख नियंत्रित, वसा निर्माण रोकता है

  2. त्रिफला – शरीर का डिटॉक्स, पाचन सुधार

  3. गुग्गुल – थायरॉयड सक्रिय, लिपिड चयापचय बढ़ाता है

  4. अशोक – कफ और सूजन कम करता है

  5. कामेग – लीवर शुद्ध, चयापचय संतुलित

  6. घीकुमारी (एलोवेरा) – पाचन मजबूत, वसा जलाने में सहायक

  7. कटुका – लीवर स्वास्थ्य सुधार, पेट की चर्बी घटाता है

  8. चित्रक – अग्नि प्रज्वलित, टॉक्सिन हटाता है

  9. मुस्तक – कफ और सूजन कम करता है

  10. अग्निमंथ – चयापचय दर बढ़ाता है

आयुर्वेदिक आहार और दिनचर्या

आयुर्वेद कहता है —

“यथा अन्नं तथा मनः।”

आहार में शामिल करें

  • हल्का, गर्म, ताज़ा भोजन

  • हरी पत्तेदार सब्जियाँ: पालक, मेथी, केल

  • मसाले: हल्दी, जीरा, धनिया, अदरक

  • फल: नींबू, शहद, करेला, लौकी

  • पर्याप्त गर्म पानी या अदरक की चाय

बचें

  • ठंडे पेय और डेयरी उत्पाद

  • चीनी, मिठाइयाँ, सफेद आटा

  • तला-भुना, भारी भोजन

  • देर रात का खाना

दिनचर्या

  • सुबह उठते ही गर्म पानी में नींबू

  • भोजन के बाद 10–15 मिनट टहलें

  • सूर्य नमस्कार या योगासन

  • रात को त्रिफला सेवन

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