Post by : Khushi Joshi
चंबा के भरमौर में स्थित पवित्र मणिमहेश झील, जिसे शिव भक्तों की अनंत आस्था का केंद्र माना जाता है, आने वाले वर्षों में और बेहतर व्यवस्थाओं के साथ श्रद्धालुओं का स्वागत करेगी। हिमाचल प्रदेश सरकार ने यात्रा प्रबंधन को और सुरक्षित, व्यवस्थित और सुविधाजनक बनाने के लिए नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार करने का निर्णय लिया है। यह जानकारी विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान विधायक नीरज नैय्यर के सवाल के जवाब में राजस्व एवं बागबानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने दी।
मंत्री ने स्पष्ट कहा कि मणिमहेश यात्रा के दौरान सेवा भावना से लंगर लगाने वाली संस्थाओं पर किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगाया जाएगा। अब तक इनसे 25 हजार रुपये लिए जाते थे, लेकिन सरकार ने इसे समाप्त करने का निर्णय लिया है। चाहे संस्थाएँ हिमाचल की हों या बाहर की, सभी को निशुल्क लंगर लगाने की अनुमति मिलेगी ताकि आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को बिना किसी बाधा के भोजन और सहायता उपलब्ध हो सके।
राजस्व मंत्री ने कहा कि इस वर्ष भारी आपदा और मौसम की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के समय कई तरह की अफवाहें फैलाई गईं, जिनसे प्रशासन की कार्यवाही प्रभावित हुई। उन्होंने संकेत दिया कि कुछ राजनीतिक दलों से जुड़े लोग भी ऐसी अफवाहों को बढ़ावा देते पाए गए। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बार नरमी दिखाई, लेकिन यदि भविष्य में कोई भी व्यक्ति आपदा या धार्मिक यात्रा के दौरान भ्रम फैलाने का प्रयास करेगा, तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी।
भरमौर के विधायक जनक राज द्वारा लंगर बह जाने वाले लोगों के शुल्क को लेकर पूछे गए सवाल पर मंत्री नेगी ने दोहराया कि ऐसे लोगों से किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं मांगा जाएगा। सरकार का उद्देश्य यात्रा से जुड़े हर व्यक्ति को राहत देना और सहयोग उपलब्ध करवाना है।
शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया के प्रश्न पर मंत्री ने कहा कि अगर केंद्र सरकार आपदा के समय हेलिकॉप्टर उपलब्ध करवाती, तो पवित्र छड़ी को वायु मार्ग से ही मणिमहेश पहुंचाया जा सकता था। उन्होंने बताया कि इस वर्ष राज्य सरकार को वायुसेना का हेलिकॉप्टर मंगवाने के लिए रक्षा मंत्री से भी बात करनी पड़ी थी। यात्रा मार्ग, विशेषकर पठानकोट से भरमौर तक जाने वाले नेशनल हाईवे की दयनीय हालत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस मार्ग की मरम्मत और सुरंग निर्माण अत्यंत आवश्यक है। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि चंबा जिले में स्थापित पन बिजली परियोजनाओं के CSR फंड का उपयोग इस सड़क की मरम्मत में किया जा सकता है।
विधानसभा में जानकारी देते हुए मंत्री ने बताया कि इस वर्ष मणिमहेश यात्रा के दौरान मौसम खराब होने के कारण 16 हजार श्रद्धालुओं को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया, जो एक बड़ी चुनौती और उपलब्धि दोनों है। इसके लिए 233 सरकारी बसों का उपयोग किया गया, साथ ही दो निजी हेलिकॉप्टर और वायुसेना के MI-17 और चिनूक हेलिकॉप्टर यात्रियों को सुरक्षित निकालने में लगाए गए। वायुसेना की सेवाओं के लिए पांच करोड़ रुपये से अधिक की राशि अभी भी लंबित है, जिसे मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है।
नई एसओपी के लागू होने के बाद मणिमहेश यात्रा न केवल अधिक सुरक्षित होगी, बल्कि श्रद्धालुओं को मिलने वाली सुविधाएँ भी बेहतर होंगी। सरकार का उद्देश्य धार्मिक यात्राओं के दौरान सुरक्षा, पारदर्शिता और सुव्यवस्था को उच्च स्तर पर लेकर जाना है, ताकि आने वाले समय में किसी भी प्रकार की प्रशासनिक कमी या असुविधा का सामना न करना पड़े।
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