Post by : Khushi Joshi
हिमाचल प्रदेश में लंबे समय से ठप पड़ी हवाई सेवाओं को फिर से पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार ने हाल ही में दिल्ली दौरे के दौरान एलाइंस एयर कंपनी के चेयरमैन से बातचीत कर एक नया प्रस्ताव रखा है। सरकार ने एलाइंस एयर से आग्रह किया है कि वह एक विमान को विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के लिए डेडिकेटेड रूप में उपलब्ध कराए, ताकि राज्य के प्रमुख हवाई मार्गों पर नियमित उड़ानें शुरू की जा सकें।
सरकारी प्रस्ताव के अनुसार यदि एलाइंस एयर एक विमान उपलब्ध कराती है, तो उसका उपयोग चंडीगढ़ से शिमला के बीच उड़ान के लिए किया जाएगा और इसके बाद शिमला से धर्मशाला तथा कुल्लू के लिए हवाई सेवाएं संचालित की जा सकेंगी। इसके लिए एक नया वित्तीय मॉडल तैयार करने को कहा गया है, ताकि दोनों पक्षों के बीच शर्तों और खर्च को लेकर बातचीत की जा सके। राज्य सरकार चाहती है कि हवाई सेवाएं स्थायी और व्यावहारिक तरीके से शुरू हों, जिससे बार-बार सेवाएं बंद न करनी पड़ें।
पिछले कुछ महीनों से हिमाचल प्रदेश में हवाई संपर्क लगभग ठप पड़ा हुआ है। शिमला का जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट बरसात से पहले ही खाली हो गया था और बरसात के बाद भी यहां कोई विमान सेवा बहाल नहीं हो पाई है। यही स्थिति कुल्लू के भुंतर एयरपोर्ट की बनी हुई है, जहां उड़ानों की संख्या बेहद सीमित हो गई है। धर्मशाला के गगल एयरपोर्ट पर भी हवाई सेवाओं में लगातार कटौती हुई है, जिससे पर्यटकों और स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इससे पहले केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत एलाइंस एयर ने दिल्ली से शिमला के लिए हवाई सेवा शुरू की थी। इस रूट के तहत दिल्ली से शिमला और फिर शिमला से धर्मशाला और कुल्लू के बीच विमान सेवाएं चलाई जा रही थीं। इन उड़ानों को व्यवहारिक बनाने के लिए हिमाचल सरकार पर्यटन विभाग के माध्यम से हर साल लगभग 11 करोड़ रुपये की वायबिलिटी गैप फंडिंग उपलब्ध करवा रही थी, ताकि एयरलाइन को नुकसान न उठाना पड़े।
हालांकि एलाइंस एयर का तर्क था कि दिल्ली से शिमला के रूट पर यात्रियों की संख्या कम होने के कारण कंपनी को लगातार नुकसान हो रहा है। इसी आधार पर एयरलाइन ने राज्य सरकार से इस रूट के लिए करीब 20 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वायबिलिटी गैप फंडिंग की मांग रखी थी। राज्य सरकार का मानना है कि एक ही सेवा के लिए अलग-अलग रूटों पर भारी भरकम फंडिंग देना व्यवहारिक नहीं है और इससे सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
इसी वजह से सरकार अब एक नए मॉडल पर काम कर रही है, जिसमें एक डेडिकेटेड विमान के जरिए प्रदेश के अंदरूनी हवाई संपर्क को मजबूत किया जा सके। पर्यटन विभाग का मानना है कि यदि शिमला, धर्मशाला और कुल्लू जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए नियमित उड़ानें शुरू होती हैं, तो इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
फिलहाल एलाइंस एयर के साथ बातचीत शुरुआती चरण में है और वित्तीय मॉडल पर सहमति बनने के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा। राज्य सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही हवाई सेवाओं को लेकर कोई ठोस समाधान सामने आएगा और हिमाचल प्रदेश का हवाई संपर्क फिर से सामान्य हो सकेगा।
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