Post by : Khushi Joshi
हिमाचल प्रदेश की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना मुख्यमंत्री हिमाचल स्वास्थ्य देखभाल योजना, जिसे आमतौर पर हिमकेयर योजना के नाम से जाना जाता है, एक बार फिर सुर्खियों में है। योजना में संभावित वित्तीय अनियमितताओं और घोटाले के आरोपों के बाद राज्य सरकार ने इसकी गहन जांच कराने का निर्णय लिया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि योजना को बंद करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन इसमें पारदर्शिता लाने और गड़बड़ियों को रोकने के लिए आवश्यक सुधार किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा और सार्वजनिक मंचों पर कहा है कि हिमकेयर योजना की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ की गई है। आरोप है कि कुछ निजी अस्पतालों और मेडिकल स्टोरों ने योजना का दुरुपयोग कर अनुचित लाभ उठाया। इन्हीं शिकायतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने योजना के तहत अब तक हुए पूरे खर्च का ऑडिट करवाने के निर्देश प्रधान महालेखाकार हिमाचल प्रदेश को दिए हैं। ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और जरूरत पड़ी तो इम्पैनलमेंट रद्द किया जाएगा।
सरकार का कहना है कि हिमकेयर जैसी जनहितकारी योजना गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए बनाई गई थी, ताकि उन्हें महंगे इलाज के लिए आर्थिक बोझ न उठाना पड़े। योजना की शुरुआत पहली जनवरी 2019 को हुई थी और इसके तहत एक परिवार के अधिकतम पांच सदस्यों को सालाना पांच लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना में करीब 3200 से अधिक बीमारियों का इलाज शामिल है, जिसमें सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ पीजीआई चंडीगढ़ और एम्स बिलासपुर जैसे बड़े संस्थानों में उपचार की सुविधा भी दी जाती है।
वर्तमान में हिमकेयर कार्ड बनवाने का दिसंबर महीना अंतिम अवसर बताया जा रहा है। सरकार के अनुसार नए नियमों के तहत अब हिमकेयर कार्ड का पंजीकरण साल में केवल चार महीने मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर में ही किया जाएगा। ऐसे में पात्र परिवारों से अपील की गई है कि वे समय रहते पोर्टल या लोक मित्र केंद्रों के माध्यम से आवेदन कर लें। इसके लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड और संबंधित श्रेणी प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज जरूरी होंगे।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहले जहां निजी अस्पतालों में हिमकेयर योजना के तहत कई प्रकार की सेवाएं उपलब्ध थीं, वहीं अब इसे सीमित कर केवल डायलिसिस जैसी आवश्यक सेवाओं तक ही रखा गया है। वर्ष 2025 में योजना के नियमों में कई अहम बदलाव किए गए हैं, ताकि अनावश्यक खर्च पर रोक लगाई जा सके और वास्तविक लाभार्थियों तक ही सुविधा पहुंचे।
राज्य सरकार का कहना है कि जांच का मकसद योजना को कमजोर करना नहीं, बल्कि इसे और मजबूत बनाना है। ऑडिट पूरा होने के बाद हिमकेयर योजना में सुधार लागू किए जाएंगे, जिससे भविष्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे। सरकार ने भरोसा दिलाया है कि जरूरतमंद लोगों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण इलाज मिलता रहेगा और जनस्वास्थ्य से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।
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