हिमाचल हाईकोर्ट ने देहरा उपचुनाव में सरकारी फंड के दुरुपयोग के आरोप पर राज्य सरकार व कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को नोटिस जारी किया
हिमाचल हाईकोर्ट ने देहरा उपचुनाव में सरकारी फंड के दुरुपयोग के आरोप पर राज्य सरकार व कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को नोटिस जारी किया

Post by : Shivani Kumari

Oct. 31, 2025 1:30 p.m. 160

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने देहरा विधानसभा उपचुनाव में सरकारी फंड के दुरुपयोग के आरोपों पर राज्य सरकार और कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को नोटिस जारी किया है। भाजपा उम्मीदवार होशियार सिंह की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि जुलाई 2024 के दौरान महिला मंडलों को बिना मांग के 50-50 हजार रुपये बांटे गए, जो चुनावी लाभ के लिए सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग है। इस मामले की जांच और जवाबदेही हेतु न्यायालय ने संबंधित पक्षों को नोटिस भेजते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी। यह मामला न केवल उपचुनाव की निष्पक्षता पर प्रभाव डालता है बल्कि हिमाचल प्रदेश की चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व को रेखांकित करता है।

इस याचिका में कहा गया है कि कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के माध्यम से महिला मंडलों को वितरित फंड राज्य सरकार के स्वीकृत योजनाओं से दिया गया, जिनमें इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना भी शामिल है। आरोप है कि मॉडल कोड ऑफ कॉन्डक्ट लागू होने के दौरान भी यह वितरण जारी रहा, जो चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। इस संबंध में कोर्ट ने स्वतंत्र जांच की भी संभावना जताई है ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके। राज्य सरकार और बैंक दोनों को इस मामले में जवाबदेही तय करनी होगी।

हिमाचल प्रदेश में सरकारी संसाधनों का चुनावी दुरुपयोग पुराना विवाद है। विभिन्न चुनावों में सरकारी फंड, मशीनरी और संस्थानों का राजनीतिक दलों द्वारा लाभ के लिए इस्तेमाल किए जाने की खबरें समय-समय पर सामने आई हैं। कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक जैसे ग्रामीण क्षेत्रों के वित्तीय संस्थान आर्थिक सहायता के लिए महत्वपूर्ण होते हुए भी राजनीतिक दबाव में आने की स्थिति का सामना करते रहे हैं। इस मामले से स्पष्ट हो रहा है कि वित्तीय संसाधनों के वितरण एवं उपयोग की पारदर्शिता आवश्यक है।

राजनीतिक विशेषज्ञ इस न्यायालय के कदम को प्रदेश की राजनीति में साफ़गोई और जवाबदेही लाने वाली एक महत्वपूर्ण पहल मानते हैं। इससे भविष्य में चुनावी दुरुपयोगों पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी और राजनीतिक दलों को कानून का सम्मान करने की सीख मिलेगी। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि चुनावों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए मजबूत निगरानी व्यवस्था जरूरी है ताकि लोकतंत्र की नींव मजबूत रहे।

इस मुद्दे की कानूनी विवेचना में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 द्वारा स्थापित चुनाव आयोग की भूमिका और Representation of People Act के प्रावधान अहम हैं। चुनाव आयोग चुनावों की निष्पक्षता बनाए रखने हेतु सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को रोकने के लिए देख-रेख करता है। कोर्ट के आदेश के बाद संभवत: जांच एजेंसियों द्वारा मामला गहराई से जांचा जाएगा और यदि दुरुपयोग पाया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रदेश में यह मामला जनप्रतिनिधित्व की पवित्रता पर सवाल उठाता है और प्रशासन के प्रति जनता के विश्वास को प्रभावित करता है। इसीलिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर जवाबदेही सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। आगामी सुनवाई में न्यायालय की कार्रवाई हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक स्थिरता और चुनावी प्रक्रियाओं के लिए निर्णायक भूमिका निभाएगी। यह प्रदेश के लोकतंत्र की मजबूती और जनता के विश्वास की रक्षा के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।

इस पूरे विषय को समझने के लिए देहरा विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक महत्व, कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की भूमिका, चुनावी आचार संहिता के नियम, और राज्य की प्रशासनिक प्रणालियों का विस्तृत अध्ययन आवश्यक है। अधिक विस्तृत शोध, विशेषज्ञों के बयान, पूर्ववर्ती मामलों, और कानूनी प्रावधानों के संदर्भ में यह एक समृद्ध और विश्लेषणात्मक पत्रकारिता सामग्री बन सकती है।

यह लेख निम्नवर्ग, महिला मंडल, चुनावी दावेदारों की व्यावहारिक समस्याओं, राजनीतिक दलों की रणनीतियों, और न्यायपालिका की भूमिका का समुचित चित्रण करता है। इसे स्थानीय भाषा और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करने की सलाह दी जाती है ताकि पाठक जुड़ाव महसूस करें।

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