Post by : Khushi Joshi
ऊना जिले में प्रदूषण बोर्ड की लापरवाही एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। पंजाब सीमा से सटे पांच गांवों में जहरीली गैस के कारण पैदा हुए गंभीर खतरे के बीच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अब तक अपनी अनिवार्य रिपोर्ट एसडीएम को नहीं सौंप पाया है। 30 अक्तूबर 2025 की रात इन गांवों में हुई गैस लीक की घटना ने सैकड़ों लोगों को सांस लेने में दिक्कत में डाल दिया था और कई बच्चों की हालत बिगड़ गई थी। घटना के बाद जिला प्रशासन ने पूरी स्थिति को गंभीरता से लेते हुए विभिन्न विभागों को शामिल कर एक संयुक्त जांच कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को प्रभावित क्षेत्र की वायु, जल और मिट्टी की स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को सौंपने के निर्देश दिए गए थे।
एसडीएम ऊना ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सात नवंबर को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था, ताकि पंजाब के प्रशासन से मामले को लेकर आवश्यक बातचीत की जा सके। इसके बावजूद, अब तीन सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट न तो तैयार होकर आई है, न ही बोर्ड की ओर से कोई ठोस जवाब दिया गया है। एसडीएम की ओर से दो बार रिमाइंडर जारी किए जा चुके हैं, फिर भी प्रदूषण बोर्ड की ओर से ढिलाई बरती जाती रही, जिससे प्रशासनिक कार्यवाही बाधित हो रही है।
इस देरी और गैर-जिम्मेदाराना रवैये को देखते हुए एसडीएम ऊना ने प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों को कार्यालय में तलब किया है और उनकी उदासीनता पर कड़ी नाराजगी जताई है। प्रशासन का कहना है कि प्रभावित गांवों — अजोली, सनोली, मजारा, मलूकपुर और बीनेवाल — में स्थिति बेहद गंभीर है और यहां के लोगों का स्वास्थ्य लगातार जोखिम में है। गैस लीक की रात जो भयावह हालात बने थे, उनमें कई गांवों के लोग बाहर निकलने को मजबूर हो गए थे और तीन बच्चे बेहोशी की हालत में मिले थे। ऐसी परिस्थिति में रिपोर्ट में देरी न केवल तकनीकी लापरवाही है, बल्कि लोगों की सुरक्षा के प्रति संवेदनहीनता भी दिखाती है।
जांच के लिए गठित कमेटी में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिशाषी अभियंता, जल शक्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता, बसदेहड़ा के खंड चिकित्सा अधिकारी, डीआईसी ऊना के जीएम और मैहतपुर बसदेहड़ा के नायब तहसीलदार शामिल हैं। यह कमेटी गैस लीक की संभावित वजहों और पर्यावरण प्रदूषण के स्तर का विश्लेषण कर रही है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि पंजाब के रोपड़ जिले के डीसी तथा अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक तभी हो सकेगी, जब प्रदूषण बोर्ड से प्राप्त विस्तृत रिपोर्ट कमेटी के पास उपलब्ध हो जाएगी। अभी तक रिपोर्ट न मिलने के कारण आगे की कार्रवाई रुकी हुई है।
एसडीएम ऊना ने कहा है कि यह मामला केवल कागजी प्रक्रिया का नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी और स्वास्थ्य से जुड़ा है। इसलिए प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी किसी भी हालत में देरी का बहाना नहीं बना सकते। प्रशासन अब मामले की हर प्रगति पर स्वयं निगरानी कर रहा है और जल्द ही रिपोर्ट न मिलने पर कड़ी कार्रवाई पर विचार किया जाएगा।
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