जयराम ठाकुर की पहाड़ी पहचान और सादगी ने जनता के बीच बढ़ाया भरोसा
जयराम ठाकुर की पहाड़ी पहचान और सादगी ने जनता के बीच बढ़ाया भरोसा

Post by : Khushi Joshi

Dec. 9, 2025 1:18 p.m. 213

मंडी। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में जयराम ठाकुर की स्वीकार्यता लगातार बढ़ती दिखाई दे रही है। साधारण परिवार से निकलकर प्रदेश की सत्ता तक पहुँचने वाले जयराम ठाकुर आज सिर्फ मंडी नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल की आवाज बन चुके हैं। आपदा और मुश्किल समय में लोगों के साथ खड़े होने की उनकी शैली ने जनता के बीच भरोसा मजबूत किया है। खासतौर पर हालिया दौर में वे जिस सहजता और संवेदनशीलता के साथ लोगों की समस्याएँ सुनते और समाधान के लिए आगे आते दिखे, उसने उनके प्रति जनता का विश्वास और ज्यादा गहरा कर दिया है।

लंबे समय तक यह नैरेटिव दिया जाता रहा कि जयराम ठाकुर “सिर्फ मंडी तक सीमित” नेता हैं, लेकिन बीते कुछ महीनों की जनता से जुड़ाव भरी सक्रियता ने इस छवि को पूरी तरह तोड़ दिया है। चाहे शिमला हो, कांगड़ा हो या चंबा व सिरमौर के दूरस्थ गांव — हर जगह उनकी मौजूदगी पर स्थानीय लोग अपनापन महसूस कर रहे हैं। पहाड़ी संस्कृति में पले-बढ़े जयराम ठाकुर की सादगी और मिलनसार व्यवहार ने उन्हें जनभावनाओं से गहराई से जोड़ा है।

सियासी मंचों पर भी पार्टी नेतृत्व द्वारा अब जयराम ठाकुर के प्रति विश्वास साफ नजर आता है। धर्मशाला के ज़ोरावर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में जिस प्रकार भाजपा नेताओं ने खुलेतौर पर “ठाकुर कबूल है” का नारा दिया, उसने संकेत और भी स्पष्ट कर दिए कि भाजपा उनके नेतृत्व को मजबूती से आगे बढ़ा रही है। माना जा रहा है कि भविष्य की रणनीतियों में उनकी भूमिका और प्रमुख होगी।

जयराम ठाकुर की सफलता के पीछे उनकी संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा भी अहम है। पहाड़ों की कठिनाई में पले और आम परिवार की आर्थिक चुनौतियों को झेलते हुए आगे बढ़ने वाले जयराम आज भी अपने मूल से जुड़े हुए हैं। यही वजह है कि जनता उन्हें अपनी तरह का नेता मानती है — जो न दिखावे में विश्वास करता है और न ही राजनैतिक दूरी बनाए रखता है। किसी भी क्षेत्र में पहुँचकर वे स्थानीय भाषा, भावनाओं और संस्कृति में घुल-मिल जाते हैं, जो उन्हें अन्य नेताओं से अलग पहचान देती है।

राजनीतिक रणनीति के लिहाज़ से भी जयराम ठाकुर ने मजबूत चालें चली हैं। वे जानते हैं कि सत्ता का रास्ता कांगड़ा से होकर निकलता है। इसलिए कांगड़ा में संगठन को एकजुट करने की कोशिशों में वे लगातार जुटे हुए हैं। कार्यकर्ताओं के बीच संवाद बढ़ाना, पुराने मतभेदों को सुलझाना और स्थानीय नेतृत्व को सम्मान देना — ये सब प्रयास साफ इशारा कर रहे हैं कि वे प्रदेशभर में पार्टी को संतुलित रूप से मजबूत करने के लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हैं।

सियासत की इस गतिशीलता में उनकी मुलाकातें भी बड़ा संदेश देती हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से समीरपुर में मुलाकात और शांता कुमार से यामिनी के दौरे ने साफ कर दिया कि पार्टी के दिग्गज भी उन्हें भविष्य के बड़े नेतृत्व के रूप में देख रहे हैं। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा उन्हें फ्री-हैंड देना भी यही दर्शाता है कि पार्टी उनमें विश्वास रखती है।

हाल ही में सुजानपुर और हमीरपुर की विशाल रैलियाँ और जनता का उमड़ता समर्थन यह साबित कर चुका है कि “जयराम सिर्फ मंडी तक सीमित” वाला पुराना नैरेटिव अब इतिहास हो चुका है। आज वे प्रदेशव्यापी स्वीकार्यता की ऊंचाई पर खड़े हैं और भाजपा के लिए एक मजबूत चेहरा बनकर उभर रहे हैं।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस गति से लोगों का समर्थन और पार्टी का भरोसा उनके पक्ष में बढ़ रहा है, वह साफ संकेत देता है कि हिमाचल की राजनीति में जयराम ठाकुर की भूमिका आने वाले समय में और भी अहम होने वाली है। शिष्टाचार, सरलता और संवेदनशील नेतृत्व की विशेषताएँ उन्हें न केवल अलग बनाती हैं, बल्कि आम जनता के दिलों में स्थायी जगह भी दिला रही हैं।

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