Post by : Mamta
हिमाचल प्रदेश में केंद्र सरकार की कृषि मशीनीकरण पर सब-मिशन (एसएमएएम) योजना के तहत किसानों को ट्रैक्टर खरीदने पर दी जाने वाली सबसिडी में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की मार्च 2022 तक की अवधि की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के चार जिलों में सबसिडी नियमों का सही तरीके से पालन न होने के कारण किसानों को कुल 4.61 करोड़ रुपए अतिरिक्त वितरित कर दिए गए। यह योजना कृषि निदेशालय के माध्यम से लागू की जाती है और इसका उद्देश्य छोटे एवं सीमांत किसानों को ट्रैक्टर जैसी मशीनरी खरीदने में आर्थिक सहायता प्रदान कर खेती में मशीनीकरण को बढ़ावा देना है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि योजना के ऑपरेशनल गाइडलाइंस के अनुसार लाभार्थियों को दो श्रेणियों में बांटा गया था और दो-पहिया ड्राइव (टू-डब्ल्यूडी) व चार-पहिया ड्राइव (फोर-डब्ल्यूडी) ट्रैक्टरों के लिए अलग-अलग सबसिडी नियम लागू थे। वर्ष 2017-18 तक दोनों श्रेणियों के लिए नियम समान थे, लेकिन 2018-19 में सरकार ने दोनों प्रकार के ट्रैक्टरों के लिए नई और अलग सबसिडी संरचना लागू की। इसके बावजूद जिलों में पुराने पैटर्न के आधार पर ही सबसिडी दी जाती रही, जिससे सबसिडी की गणना गलत तरीके से हुई और कई किसानों को निर्धारित सीमा से अधिक भुगतान कर दिया गया।
कैग द्वारा चार जिलों में किए गए टेस्ट चेक में सामने आया कि वर्ष 2021-22 में टू-डब्ल्यूडी ट्रैक्टर खरीदने वाले 1,005 लाभार्थियों को कुल 29.71 करोड़ रुपए जारी किए गए, जबकि गाइडलाइंस के अनुसार इन मामलों में केवल 25.10 करोड़ रुपए देना योग्य था। इस त्रुटि के कारण 4.61 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सबसिडी जारी हो गई। कई मामलों में 6,000 रुपए से लेकर 50,000 रुपए तक अधिक भुगतान की पुष्टि हुई है। ऑडिट में एक पुराने सर्कुलर का भी उल्लेख किया गया, जिसमें 50 प्रतिशत सबसिडी या तीन लाख रुपए की अधिकतम सीमा तय थी, जबकि संशोधित गाइडलाइंस में यह नियम बदल चुका था।
कृषि निदेशक ने मई 2022 में इस गलती को स्वीकार किया था, लेकिन जुलाई 2024 तक राज्य सरकार ने कैग को इस संबंध में कोई औपचारिक जवाब नहीं भेजा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फील्ड-लेवल अधिकारियों द्वारा नई गाइडलाइंस को नजरअंदाज करना इस गड़बड़ी का मुख्य कारण है, जिसके चलते सरकारी राशि का गलत तरीके से वितरण हुआ।
कैग ने राज्य सरकार को सलाह देते हुए कहा है कि सबसिडी वितरण से जुड़े आंतरिक नियंत्रण तंत्र को और मजबूत किया जाए, ताकि ऑपरेशनल गाइडलाइंस का पूर्ण पालन सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही अतिरिक्त दी गई सबसिडी की वसूली प्रारंभ करने और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की भी सिफारिश की गई है।
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