Post by : Shivani Kumari
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में एक महिला ने भाजपा विधायक हंस राज पर यौन उत्पीड़न और परिवार को धमकी देने का आरोप दोहराया है। महिला ने सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में दावा किया कि वह पिछले एक वर्ष से न्याय के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन उसे लगातार दबाव और बदनाम करने की कोशिशों का सामना करना पड़ रहा है। वीडियो में महिला ने कहा कि विधायक ने उसे अश्लील संदेश भेजे और समझौते का दबाव बनाया। उसने यह भी बताया कि इस मामले में दर्ज एफआईआर को पुलिस ने पहले क्लोज़र रिपोर्ट के साथ बंद कर दिया था, लेकिन अब फिर से उस पर समझौते के लिए दबाव डाला जा रहा है।
महिला ने भावुक अपील करते हुए कहा कि यदि उसके परिवार को कोई नुकसान पहुंचा, तो उसकी जिम्मेदारी विधायक पर होगी। उसने आरोप लगाया कि विधायक की पत्नी ने भी उसे राजनीतिक प्रभाव का डर दिखाया। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर मामला तेजी से चर्चा में आ गया है।
विधायक हंस राज ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने 2 नवंबर 2025 को जारी एक वीडियो में कहा कि संबंधित महिला उनके लिए बेटी समान है और यह पूरा विवाद उनकी लोकप्रियता व विकास कार्यों को कमजोर करने की कोशिश है। विधायक ने आरोपों को सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश बताया और मानहानि का मुकदमा दायर करने की चेतावनी दी। साथ ही, उन्होंने पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
यह घटना उस समय सामने आई है जब देशभर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। राष्ट्रीय महिला आयोग की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, पूरे भारत में 25,000 से अधिक शिकायतें दर्ज हुईं जिनमें 17 प्रतिशत मामले दहेज उत्पीड़न से जुड़े थे। 2024 में कार्यस्थल उत्पीड़न के 1,200 से अधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें हिमाचल प्रदेश शीर्ष पर रहा।
महिला अधिकार कार्यकर्ता डॉ. रंजना कुमारी ने कहा कि ऐसे मामलों में राजनीतिक प्रभाव अपराधियों के लिए ढाल बन जाता है और न्यायिक प्रक्रिया कमजोर होती है। कानूनी विशेषज्ञ फ्लेविया एग्नेस ने कहा कि सोशल मीडिया अब पीड़ितों को अपनी बात रखने का साहस देता है, लेकिन इसके साथ सार्वजनिक प्रतिक्रिया और ट्रोलिंग का खतरा भी बढ़ गया है।
विपक्षी कांग्रेस ने स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा कि राजनीतिक प्रभाव के कारण कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। वहीं, चंबा के स्थानीय संगठनों ने भी पारदर्शी कार्रवाई की मांग की है ताकि क्षेत्र की साख और पर्यटन पर असर न पड़े।
हंस राज के खिलाफ आरोप और उनका इनकार दोनों ही अपने आप में गंभीर हैं। यह मामला केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं बल्कि सत्ता, राजनीति और लैंगिक न्याय के बीच गहराते संघर्ष को भी उजागर करता है। निष्पक्ष जांच, पारदर्शिता और पीड़ित की सुरक्षा ही इस विवाद के समाधान की कुंजी हैं। अगर कार्रवाई में देरी होती है, तो यह मामला न केवल हिमाचल की राजनीति बल्कि संस्थाओं पर जनता के भरोसे की भी परीक्षा बन सकता है।
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