Post by : Khushi Joshi
मनरेगा योजना के नाम को लेकर उठे राजनीतिक विवाद पर लोकसभा में तीखी बहस देखने को मिली। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने विपक्ष पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि जो लोग आज मनरेगा का नाम बदलने पर हल्ला मचा रहे हैं, उन्होंने कभी वास्तव में महात्मा गांधी की चिंता नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि गांधी जी के नाम का इस्तेमाल केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया गया है।
लोकसभा में देर रात ‘वीबी जी रामजी विधेयक’ पर चर्चा के दौरान अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह विधेयक गरीबों और ग्रामीण भारत के लिए एक मजबूत आधार तैयार करने वाला कदम है। उन्होंने कहा कि जिन दलों को आज योजना के नाम से आपत्ति है, उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि वर्ष 1989 में जब इस योजना को ‘जवाहर रोजगार योजना’ नाम दिया गया था, तब किसी को महात्मा गांधी की याद नहीं आई। इसके बाद भी इस योजना का नाम कई बार बदला गया, लेकिन उस समय गांधी जी के नाम को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया गया।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2005 में भी योजना के स्वरूप और नाम में बदलाव हुआ, लेकिन तब भी विपक्ष ने गांधी जी के नाम की बात नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2009 में चुनावी माहौल बनने पर कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिए महात्मा गांधी का नाम योजना से जोड़ दिया। ठाकुर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भाजपा काम करने में विश्वास रखती है, जबकि विपक्ष केवल नाम और आरोपों की राजनीति करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि वीबी जी रामजी विधेयक का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण को मजबूत करना है और इस तरह की योजनाओं को नाम के विवाद में उलझाना गलत है। ठाकुर के अनुसार सरकार की प्राथमिकता योजनाओं को ज़मीन पर प्रभावी ढंग से लागू करना है, न कि केवल नामों की राजनीति करना।
इस चर्चा में भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने भी विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार जो विधेयक लेकर आई है, उसमें पारदर्शिता है और इसी वजह से विपक्ष के कई दल असहज हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देर रात डेढ़ बजे तक लोकसभा में कई वरिष्ठ मंत्री मौजूद रहे।
डॉ. दुबे ने बताया कि कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू, प्रहलाद जोशी, अर्जुन राम मेघवाल और अनुराग ठाकुर जैसे नेता पूरी बहस के दौरान सदन में बैठे रहे, जो यह दर्शाता है कि सरकार इस विधेयक को लेकर कितनी गंभीर है।
कुल मिलाकर मनरेगा के नाम को लेकर उठे विवाद ने लोकसभा में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। एक ओर विपक्ष इसे गांधी जी के सम्मान से जोड़कर देख रहा है, वहीं भाजपा का कहना है कि नाम से ज्यादा ज़रूरी गरीबों और ग्रामीणों तक योजनाओं का सही लाभ पहुंचाना है।
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